Last Updated: Tuesday, December 27, 2011, 04:00
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : लोकसभा में लोकपाल विधेयक पर बहस की शुरुआत हो चुकी है। बहस की शुरुआत करते हुए सरकार की तरफ से नारायण सामी ने कहा कि लोकपाल बिल में संसद की भावना का पूरा ध्यान रखा गया है। सरकार एक सख्त लोकपाल बिल लेकर आई है। सोनिया गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत पहल की है। टीम अन्ना से बात करने के बाद ही बिल को संसद में पेश किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को बिल पास होने का भरोसा है।
मिली जानकारी के अनुसार, सरकार विधेयक में कुछ संशोधनों के लिए तैयार हो गई है, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल भाजपा एक-एक प्रावधान पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। वहीं वामदल भी सरकारी लोकपाल को जल्दबाजी में लाया गया विधेयक करार दे रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, लोकपाल विधेयक पर लोकसभा में बहस के दौरान भाजपा 37 संशोधन लाने की योजना बना चुकी है। पार्टी कम से कम चार मुद्दों पर सरकार को घेरेगी। भाजपा की मानें तो लोकपाल में 50 फीसदी आरक्षण असंवैधानिक है, लोकपाल के चयन में सरकार की भूमिका ज्यादा है, सीबीआई पर सरकार का नियंत्रण खत्म होना चाहिए और लोकपाल विधेयक से राज्यों में लोकायुक्त का गठन संघीय ढांचे को कमजोर करेगा। भाजपा की चौथी मांग अन्ना की मांग के खिलाफ जाती नजर आती है। अन्ना केंद्र की तरह राज्यों में भी मजबूत लोकायुक्त चाहते हैं।
भाजपा के लोकसभा में 115 और राज्यसभा में 51 सांसद हैं। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का कहना है कि लोकपाल को ज्यादा अधिकार नहीं होने चाहिए। लोकपाल की रिपोर्ट पर स्पीकर और सभापति को सांसदों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार न हो और पीएम को लोकपाल के दायरे में शामिल नहीं किया जाए।
अगर मतदान की नौबत आती है तो इस दौरान दोनों दल लोकपाल बिल के खिलाफ मतदान कर सकते हैं। सपा के लोकसभा में 22 और राज्यसभा में 5 सांसद हैं। जबकि आरजेडी के लोकसभा और राज्यसभा में 4-4 सांसद हैं। उधर, लेफ्ट पार्टियां भी संशोधन की लिस्ट लेकर तैयार हैं। उनका मानना है कि लोकपाल के पास जांच के लिए अलग संस्था होनी चाहिए। लोकपाल के चयन का पैनल ज्यादा विस्तृत होना चाहिए।
ऐसे में आज सबकी नजरें सरकार पर टिकी हैं। विधेयक पर सासंदों का रुख देखते हुए सरकार को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि लोकपाल विधेयक संविधान संशोधन विधेयक है। इसे पारित करने के लिए उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत जरूरी है। राज्यसभा में विधेयक पास कराने में सरकार के पास जरूरी दो तिहाई बहुमत नहीं है। ऐसे में विधेयक पास करने के लिए भाजपा को साथ लेना जरूरी है। माना जा रहा है कि संसद में बहस के दौरान सरकार राज्यों को खुद का लोकायुक्त कानून बनाने की छूट देने की बीजेपी की मांग को मान सकती है।
First Published: Tuesday, December 27, 2011, 14:00