Last Updated: Wednesday, December 28, 2011, 08:52

नई दिल्ली : संसद के निचले सदन लोकसभा में लोकपाल व 'व्हिसल ब्लोअर' संरक्षण विधेयक पारित होने के एक दिन बाद बुधवार को लोकसभा में न्यायिक जवाबदेही विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक के पारित होने के बाद न्यायाधीशों के बुरे बर्ताव से संबंधित शिकायतों की जांच के लिए एक विश्वसनीय तंत्र स्थापित हो सकेगा।
इसके साथ ही लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया, जो न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव की बात करता है। साथ ही इसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 65 वर्ष करने की बात कही गई है।
न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक, 2010 व 114वां संविधान संशोधन विधेयक, 2010 पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने लोकसभा सदस्यों से भारतीय न्यायपालिका में नए ईमानदार मानकों की स्थापना करने में योगदान देने वाले इन महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी देने का अनुरोध किया।
न्यायपालिका से संबंधित विधेयक न्यायिक मानक स्थापित करेगा और न्यायाधीशों की जवाबदेही तय करेगा। यह सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के गलत व्यवहार के खिलाफ आई शिकायतों या उनकी अक्षमता की जांच के लिए एक उचित तंत्र स्थापित करेगा। यह विधेयक इस तरह की जांचों की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करेगा। इसके अलावा विधेयक के आने के बाद किसी न्यायाधीश को उसके पद से हटाए जाने की प्रक्रिया पर संसद अपना रुख राष्ट्रपति को बता सकेगी।
न्यायिक जवाबदेही विधेयक लोकसभा में पिछले साल पेश किया गया था। इसके बाद इसे संसद की कार्मिक, कानून एवं न्याय मामलों की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। समिति ने एक महत्वपूर्ण सिफारिश दी थी, जिसके मुताबिक न्यायाधीशों को अन्य संवैधानिक निकायों या व्यक्तियों के खिलाफ 'अवांछित' टिप्पणियां करने से रोकने को कहा गया था।
First Published: Wednesday, December 28, 2011, 16:22