Last Updated: Tuesday, August 27, 2013, 19:30

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों को प्रभावहीन करने के मकसद से लाए गए एक विधेयक को राज्यसभा ने मंगलवार को अपनी मंजूरी दे दी। लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, 2013 में जेल में बंद होने के दौरान चुनाव लड़ने तथा अपील के लंबित होने के दौरान सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने की अनुमति देने का प्रावधान है, लेकिन इस दौरान उन्हें मतदान और वेतन हासिल करने का अधिकार नहीं रहेगा।
विधेयक संसद से पारित होने के बाद अगर कानून बनेगा तो यह 10 जुलाई 2013 से लागू होगा। 10 जुलाई 2013 को न्यायालय ने दो निर्णय दिए थे, जिनके तहत दोषी साबित किये गये सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता को समाप्त करने तथा ऐसे लोगों के जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगायी गयी है।
इन प्रावधानों वाले लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन और विधि मान्यकरण) विधेयक को कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कल सदन के पटल पर रखा था। आज इस पर चर्चा हुई और सभी दलों के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया। चर्चा के बाद इसे मंजूरी दे दी गई। इस संशोधन विधेयक के जरिये 1951 के मूल कानून में दो बदलाव किए जाएंगे। विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की समीक्षा की है तथा भारत के एटार्नी जनरल से विचार विमर्श कर इस आदेश के खिलाफ पुनरीक्षा याचिका दायर की है।
इसमें कहा गया कि इसके अतिरिक्त सरकार का यह मत है कि उक्त पुनरीक्षा याचिका के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना उच्चतम न्यायालय के आदेश से पैदा हुई स्थिति से उपयुक्त रूप से निपटने की जरूरत है। अत: उक्त कानून का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 27, 2013, 19:30