Last Updated: Monday, October 8, 2012, 17:12

नई दिल्ली: सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और रीयल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ के बीच लेनदेन की जांच से इनकार करते हुये वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा जब तक स्पष्ट तौर पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप सामने नहीं आते तब तक सरकार निजी सौदों की जांच नहीं कर सकती।
आर्थिक संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं के सवाल का जवाब देते हुये वित्त मंत्री ने कहा ‘जब तक किसी के बदले में कुछ लेने देने अथवा भ्रष्टाचार के विशिष्ट आरोप सामने नहीं आते, मुझे नहीं लगता कि तब तक निजी सौदों की जांच केवल इस आधार पर नहीं की जा सकती कि इसका इशारा किया गया है अथवा ऐसा आरोप लगाया गया है।’
सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और रीयल एस्टेट क्षेत्र की डीएलएफ के बीच हुये लेनदेन की जांच कराने की मांग की है। केजरीवाल का आरोप है कि डीएलएफ ने वड्रा को 65 करोड़ रुपये का बिना किसी गारंटी के ब्याजमुक्त कर्ज दिया। इसके अलावा डीएलएफ ने अपनी 300 करोड़ रुपये की संपत्ति काफी सस्ते दाम पर वड्रा को बेची।
चिदंबरम ने कहा, ‘इस मामले पर वह सरकार की तरफ से जवाब नहीं दे सकते क्योंकि यहां यह मामला नहीं है। मेरा मानना है कि जिन्होंने आरोप लगाया उन्होंने अपनी बात कह दी है, संबंधित कंपनी और व्यक्ति ने भी अपनी बात रख दी है।’’ वाड्रा ने इससे पहले केजरीवाल के आरोपों को खारिज करते हुये उन्हें झूठा और छवि खराब करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि उनके सभी लेनदेन सरकारी एजेंसियों और वित्तीय लेखेजोखे में स्पष्ट तौर पर दिखाये गये हैं।
डीएलएफ ने भी इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उसने वड्रा को लाभ पाने की उम्मीद में कर्ज दिया। कंपनी ने कहा कि उसका वड्रा के साथ जो भी लेनदेन हुआ वह पूरी तरह पारदर्शी है। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 8, 2012, 16:14