Last Updated: Saturday, October 6, 2012, 23:23

नई दिल्ली : रियल्टी क्षेत्र की बड़ी कंपनी डीएलएफ से कृपादृष्टि के आरोपों को लेकर विवादों में घिरे रॉबर्ट वाड्रा ने शनिवार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वह सभी तरह की नकारात्मक बातों से निपट सकते हैं। उधर, इस मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ी रही।
डीएलएफ ने जोर दिया कि ‘वाड्रा या उनकी कंपनी के साथ उसका कारोबारी संबंध व्यक्तिगत हैसियत से है और उसमें नैतिकता और पारदर्शिता के सर्वोच्च मानदंडों का पालन किया गया है। उसे किसी भी राज्य सरकार या भारत के किसी भी हिस्से के सरकारी प्राधिकार से कोई अनुचित लाभ नहीं मिला है।’ डीएलएफ ने एक वक्तव्य में कहा कि उसने कोई बिना गारंटी वाला कर्ज प्रदान नहीं किया है।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा के खिलाफ शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाने वाले अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर उनके आरोप गलत साबित हुए तो वह मानहानि के मामले का सामना करने को तैयार हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि डीएलएफ ने वाड्रा के स्वामित्व वाली कंपनियों को 300 करोड़ रुपए की संपत्ति कौड़ी के दाम में दे दी। डीएलएफ ने वाड्रा की कंपनी को 65 करोड़ रुपए का बिना गारंटी वाला ब्याज मुक्त कर्ज दे दिया।
आरोपों के विवरण में गए बिना वाड्रा के करीबी सूत्रों के अनुसार उन्होंने कहा, ‘वह सभी तरह की नकारात्मकता से निपट सकते हैं।’ उन्होंने बुरे हालात देखने का वस्तुत: उल्लेख करते हुए कहा, ‘जिन लोगों को मैं प्यार करता था उन्हें मैंने खो दिया। उससे बुरा क्या हो सकता है।’ इस बीच, कांग्रेस नेतृत्व की ओर से वाड्रा का बचाव जारी है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मुंबई में कहा कि ‘भ्रष्टाचार के आरोप’ लगाने मात्र से किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच हुए लेन-देन पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस भी प्रियंका गांधी के 43 वर्षीय पति के बचाव में आई। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मामले में जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा, ‘किस बात की जांच।’ भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘यह देश के लोगों की अपेक्षा है कि मामले की जांच होनी चाहिए। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली की कांग्रेस सरकारों ने वाड्रा को क्या लाभ दिया।’
चिदंबरम ने कहा, ‘मुझे जो जानकारी मिली है वह यह कि ये सौदे दो निजी व्यक्तियों के बीच हुए हैं और इनकी जानकारी आयकर और दूसरी रिटर्न में उचित ढंग से दी गई है। और किसी भी व्यक्ति ने किसी भी तरह के लेनदेन अथवा किसी गलत मंशा का आरोप नहीं लगाया है, इसके आगे मैं कुछ नहीं कह सकता।’
केजरीवाल के आरोपों का चार पन्नों में किए गए बिंदुवार खंडन में डीएलएफ ने कहा, ‘हम साफ तौर पर कहना चाहते हैं कि डीएलएफ ने वाड्रा या उनकी किसी भी कंपनी को बिना गारंटी वाला कोई कर्ज नहीं दिया है।’ डीएलएफ और वाड्रा तथा उनके समूह की कंपनियों के बीच सभी व्यावसायिक लेन-देन में पूरी पारदर्शिता होने पर जोर देते हुए उसने कहा, ‘उसका पूरा ब्योरा दिया गया है’ और ‘बिना हिसाब वाले काला धन या अवैध धन जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है उसका इस्तेमाल किये जाने का कोई सवाल नहीं है।’ उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने आरोपों का खंडन किया है। हुड्डा सरकार पर आरोप है कि उसने वाड्रा को लाभ के बदले में डीएलएफ पर कृपादृष्टि की।
रालेगण सिद्धि में अन्ना हजारे ने कहा कि अगर वाड्रा के खिलाफ आरोप गलत होने को लेकर कांग्रेस आश्वस्त है तो उसे न्यायिक जांच का आदेश देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अनेक कांग्रेसी नेता कहते हैं कि ये आरोप सिर्फ चुनावी बाध्यताओं की वजह से हैं और ये निराधार हैं। हम कहते हैं कि अगर आरोप गलत हैं तो क्यों नहीं वे इसकी न्यायिक जांच का आदेश देते हैं। और अगर गलत है तो अरविंद के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करें। सचाई बाहर आ जाएगी।’
माकपा नेता बृंदा करात ने कहा कि सरकार को मामले की जांच करनी चाहिए और जनता के समक्ष सचाई लानी चाहिए। भाकपा ने कहा कि ये आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और उसकी जांच की जानी चाहिए। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने वाड्रा को निशाना बनाने के लिए केजरीवाल की आलोचना की। उन्होंने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 6, 2012, 23:02