विचाराधीन कैदियों की समीक्षा करे राज्य : केंद्र

विचाराधीन कैदियों की समीक्षा करे राज्य : केंद्र

नई दिल्ली : लंबे समय से जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को जल्द ही राहत मिल सकती है क्योंकि केंद्र ने सभी राज्यों को ऐसे मामलों की समीक्षा का आदेश देते हुए कहा है कि सिर्फ गरीब लोग ही लगातार जेलों में जमानत के बिना बंद पड़े हैं।

गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि आपराधिक दंड संहिता की धारा 436 ए के तहत अगर कोई विचाराधीन कैदी अपनी अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में काट लेता है तो अदालत को चाहिए कि उसे निजी मुचलके पर जमानत दे कर या बिना जमानत के रिहा कर दे हालांकि जघन्य अपराध में शामिल कैदियों के मामले में ऐसा नहीं किया जा सकता।

परामर्श में कहा गया है कि जेलों में कैदियों की संख्या अधिक है और विभिन्न जेलों में करीब 67 फीसदी विचाराधीन कैदी बंद हैं। गृह मंत्रालय ने कहा, ‘यह पाया गया है कि जेलों में विचाराधीन कैदी के तौर पर लंबे समय से ऐसे लोग बंद हैं जो गरीब हैं और जमानत नहीं दे पाते। यह लोग छोटे मोटे अपराधों में आरोपी हैं।’ आगे मंत्रालय ने कहा है ‘पर्याप्त कानूनी सहायता और गिरफ्तार लोगों के अधिकारों के बारे में जागरूकता का अभाव जमानती अपराधों के आरोपियों के जेलों में लगातार बंद रहने का मुख्य कारण है। जमानत एक अधिकार है।’

गृह मंत्रालय ने कहा कि दंडनीय अपराध जैसे मौत की सजा के आरोपियों को छोड़ कर अन्य किसी को भी जेल में विचाराधीन कैदी के तौर पर अधिकतम संभावित सजा की लंबी अवधि तक बंद नहीं रखा जा सकता। केंद्र ने जेलों में पर्याप्त जगह न होने और विचाराधीन कैदियों पर खर्च होने वाले संसाधनों का जिक्र करते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि हर जिले में एक समिति बनाई जाए जिसमें जिला जज अध्यक्ष हों और जिला मजिस्ट्रेट तथा पुलिस अधीक्षक उसके सदस्य हों। हर तीन माह में समिति की बैठक हो और विचाराधीन कैदियों के मामलों की समीक्षा की जाए।

मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इसके अलावा, जेल के अधीक्षक को ऐसे सभी मामलों का एक सर्वे करना चाहिए जिनमें विचाराधीन कैदियों ने अधिकतम सजा की एक चौथाई से अधिक अवधि जेल में पूरी कर ली है। जेल अधीक्षक को सर्वे की सूचना बना कर जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के पास भेज देना चाहिए।

परामर्श में कहा गया है कि जेल अधिकारियों को भी चाहिए कि वे विचाराधीन कैदियों को जमानत के उनके अधिकार के बारे में बताएं और डीएलएसए के पैनल में शामिल वकीलों के माध्यम से उन मामलों में कानूनी सहायता मुहैया कराएं जिन मामलों को अदालत में जमानत पर रिहाई तथा जमानत की राशि कम करने के लिए पेश किया जाना है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 10, 2013, 12:15

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