Last Updated: Tuesday, November 1, 2011, 16:48
नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के उस नोट को लेकर उठा विवाद फिलहाल थमता नहीं दिख रहा जिसमें तत्तकालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 2जी घोटाले के लिए ‘एक तरह से जिम्मेदार’ ठहराया गया है। अब एक नया दस्तावेज सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि यह नोट प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय के साथ विचार विमर्श के बाद नए सिरे से तैयार किया गया था।
वित्त मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र के माध्यम से प्रकाश में आई नई जानकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय के 25 मार्च के 2जी मामले में जारी नोट को लेकर उठे विवाद के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि विवादास्पद नोट में वह वाक्य कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ विचार-विमर्श के बाद ही इसमें जोड़ा गया, जिससे लगता है कि इस मामले में चिदंबरम का भी दोष है।
मुखर्जी ने न्यूयार्क में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर यहां लौटने के बाद इस संबंध में प्रधानमंत्री को 26 सितंबर को पत्र लिखकर यह स्थिति स्पष्ट की थी। इसमें लिखा गया कि आर्थिक मामला विभाग तो मामले में औपचारिक ‘कार्यालय अनुस्मरण-पत्र’ को अंतिम रुप दिए जाने के बाद नोट को भेजने के पक्ष में ही नहीं था।
प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के आर्थिक मामले विभाग सचिव को फोन करने के बाद ही उनके कहने पर 25 मार्च 2011 को यह संदेश औपचारिक ‘कार्यालय अनुस्मरण’ के रूप में भेजा गया। वित्त मंत्रालय के 25 मार्च के इस नोट को लेकर बड़ा विवाद उठ चुका है। सूचना के अधिकार के तहत सार्वजनिक हुए इस नोट के एक वाक्य को लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 2जी मामले में विवादों में घिर गए। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2008 में वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम 2जी मामले में स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए जोर देकर घोटाला होने से रोक सकते थे।
पत्र में कहा गया है ‘मीडिया और विपक्ष ने जिस तरह से इस एक वाक्य को उछाला है उसे देखते हुए उन परिस्थितियों को स्पष्ट करना जरुरी हो जाता है जिनकी वजह से आर्थिक मामले विभाग ने यह संदेश भेजा और कैसे यह वाक्य इस नोट में आया। मुखर्जी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए पत्र में कहा कि आर्थिक मामले विभाग के नोट का कैबिनेट सचिवालय में संयुक्त सचिव ने 18 मार्च 2011 को ई-मेल के जरिए जवाब दिया। इसमें कहा गया ‘आपने जो नोट भेजा है उसे व्यापक रुप देकर सुधारा गया है, डीजी ने कहा, मैं आपको इसके साथ संलग्न के तौर पर सुधारा गया नोट भेज रहा हूं।’ इसमें जो भी सुधार किए गए वह इस धारणा के साथ किए गए कि मुद्दों को पूरे विस्तार से बताया जाए।
मुखर्जी के पत्र में ईमेल का हवाला देते हुए कहा गया ‘दो नए पैराओं जिन्हें हरे रंग से मार्क किया गया था, इसमें कहा गया था कृपया इसे देखें और यदि आगे विचार विमर्श की जरुरत पड़े तो वापस आ सकते हैं।’मुखर्जी ने कहा कि यह वाक्य कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ विचार-विमर्श के बाद ही नोट के 17वें पैरा में यह सामने आया है। पैरा में कहा गया है कि ‘वित्त मंत्रालय 4.4 मेगाहटर्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी को लेकर अडिग रहता तो दूरसंचार विभाग संबंधित अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए लाइसेंसों को निरस्त कर सकता था।’ मुखर्जी ने पत्र में कहा चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है ‘प्रधानमंत्री जैसा भी उचित समझें उनकी सूचना और कारवाई के लिये मामला उनके समक्ष है।’
प्रणब ने सोनिया व मनमोहन से मुलाकात की नई दिल्ली : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपना पत्र सार्वजनिक होने के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की। इस पत्र में कहा गया है कि उनके मंत्रालय के 2जी संबंधी 25 मार्च के विवादित नोट में कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से ‘ मशविरा’ के बाद संशोधन किया गया था।
यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन बैठकों में किन मुद्दों पर चर्चा हुई। लेकिन ऐसा समझा जाता है कि यह मुद्दा मुखर्जी द्वारा 26 सितंबर को प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र से संबंधित है। कांग्रेस ने इस मामले में पड़ने से इनकार कर दिया। हालांकि पार्टी ने कहा कि कोई विवाद नहीं है।
कांग्रेस ने कहा कि नोट जारी किए जाने की परिस्थितियों के बारे में काफी चर्चा हो चुकी है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि दिसंबर 2003 से फरवरी 2011 के बीच जो हुआ, नोट उसका दोहराव है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अगर पत्र के तथ्यों के क्रम और व्याख्या को लेकर कोई चिंता है तो फैसला जेपीसी पर छोड़ दिया जाना चाहिए जिस पर 1998 से 2009 के बीच स्पेक्ट्रम आवंटन पर गौर करने की जिम्मेदारी है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 2, 2011, 15:12