विपक्षी मुख्यमंत्रियों को रास नहीं आई प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें

विपक्षी मुख्यमंत्रियों को रास नहीं आई प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें

विपक्षी मुख्यमंत्रियों को रास नहीं आई प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें नई दिल्ली : विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा पुलिस सुधारों को लेकर की गई सिफरिशों को पूरी तरह नकार दिया है। उनका कहना है कि इससे राज्यों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन होगा।

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने केन्द्र पर आरोप लगाया कि वह राज्यों के अंदरूनी मसलों में अत्यधिक हस्तक्षेप कर रहा है।

प्रशासनिक सुधार आयोग की पांचवी रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बुलाये गये मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में माणिक सरकार को छोडकर बाकी तीन मुख्यमंत्रियों के भाषण उनकी अनुपस्थिति में पढ़े गये।

जयललिता ने कहा कि प्रशासनिक सुधार आयोग की लोक व्यवस्था से जुडी कई सिफारिशें अप्रासंगिक और अव्यावहारिक हो गई हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कई सुझाव राज्यों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करते हैं।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से आयोग की सिफारिशों को राज्यों पर जबर्दस्ती थोपने का प्रयास नहीं होना चाहिए। एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी सिफारिशें केन्द्र सरकार को जून 2007 में सौंपी थीं।

केन्द्र की आलोचना करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यदि कोई राज्य सरकारों के अधिकारों में कटौती की बात सोचता है या फिर ऐसा चाहता है तो संविधान संशोधन किया जाना चाहिए।

नीतीश ने कहा कि यदि कुछ लोग या संस्थाएं ऐसा सोचती हैं कि पुलिस सुधारों को लेकर राज्य की निर्वाचित सरकार के अधिकारों में कटौती करनी है तो वे संविधान संशोधन के जरिए ऐसा कर सकती हैं ताकि पुलिस और लोक व्यवस्था को राज्यों के प्रशासनिक नियंत्रण एवं विधायी दायरे से हटाया जा सके और केन्द्र सरकार को अधिकार एवं जिम्मेदारियां दी जा सकें।

उन्होंने कहा कि राज्य इन मसलों में केन्द्र को मिली मुख्य भूमिका का लगातार सम्मान करते आये हैं लंकिन दिन प्रतिदिन के शासन में केन्द्र की ओर से अत्यधिक हस्तक्षेप संविधान की भावना के विपरीत है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है लेकिन केन्द्र सरकार अव्यवहारिक सुझाव देती रहती है। पिछले कुछ समय से हम देख रहे हैं कि केन्द्र सरकार केन्द्र-राज्य संबंधों को लेकर आयोग की सिफारिशों या एनसीटीसी के गठन के नाम पर कानून व्यवस्था और पुलिस के संस्थागत ढांचे में बदलाव के अव्यवहारिक सुझाव और प्रस्ताव लगातार भेजती रही है।

आयोग की विभिन्न सिफारिशों का विरोध करते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा कि बडे संकट की स्थिति में केन्द्र को उसके बल तैनात करने का अधिकार देने की बात का वह समर्थन नहीं करते क्योंकि यह सिफारिश हमारे संविधान के संघीय ढांचे के मूल नियम के खिलाफ है।

सम्मेलन में आये गुजरात के गृह राज्य मंत्री रजनीकांत पटेल ने कहा कि उनका राज्य आयोग की सबसे महत्वपूर्ण सिफारिश से असहमत है, विशेषकर संघीय अपराधों से निपटने के लिए नयी संघीय एजेंसी बनाने की सिफारिश से वह असहमत हैं।

पटेल ने कहा कि एनआईए और सीबीआई जैसी एजेंसियां केन्द्र के स्तर पर पहले से हैं, ऐसे में नया संघीय ढांचा बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

जयललिता ने कहा कि तमिलनाडु पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए जब भी हमने और वित्तीय मदद की उम्मीद लगायी, हमसे केवल कागजी वायदे किये गये। क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि कम से कम अब यह रूझान बदलेगा। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 15, 2013, 18:11

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