Last Updated: Friday, April 27, 2012, 09:18
नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम पर वित्त मंत्री रहते हुए वर्ष 2006 में एक दूरसंचार सौदे में अपने बेटे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों ने शुक्रवार को उनके इस्तीफे की मांग की। सदस्यों ने चिदम्बरम के इस्तीफे की मांग को लेकर अपराह्न् दो बजे तक लोकसभा की कार्यवाही में दो बार बाधा पहुंचाई, जबकि चिदम्बरम सदन में मौजूद नहीं थे।
सुबह सदन में सदस्यों के पहुंचने के साथ ही अगली सीटों पर बैठे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ सांसद खड़े हो गए और चिदम्बरम को पद से हटाने की मांग करने लगे। हंगामे के बीच भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि चिदंबरम बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री के पद से तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए। जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव और उनकी पार्टी के अन्य सांसद भी चिदम्बरम विरोधी प्रदर्शन में भाजपा के साथ हो गए।
विपक्षी सांसदों ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी के उन आरोपों का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि केंद्रीय वित्त मंत्री रहते हुए चिदम्बरम ने 2006 में मलेशियाई कम्पनी मैक्सिस को एयरसेल की बिक्री की मंजूरी देने में इसलिए देरी की थी, ताकि उनके बेटे कार्ती को आर्थिक लाभ मिल सके। स्वामी ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर चिदम्बरम से इस्तीफा मांगने और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एयरसेल-मैक्सिस सौदे की जांच में चिदम्बरम और उनके बेटे को भी शामिल करने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
पूर्व केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री दयानिधि मारन इस सौदे में कथित अनियमितता को लेकर जांच के घेरे में हैं। स्वामी ने आरोप लगाया है कि एयरसेल में मैक्सिस के 4,000 करोड़ रुपये के निवेश से ठीक पहले कार्ती की कम्पनी और एयरसेल के बीच मार्च 2006 में 'संदिग्ध लेनदेन' हुआ था।
स्वामी का आरोप है कि केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में चिदम्बरम ने यह सुनिश्चित कराया था कि एयरसेल-मैक्सिस सौदे को विदेशी निवेश सम्वर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से तभी मंजूरी मिले, जब कार्ती की कम्पनी को एयरसेल में हिस्सेदारी प्राप्त हो।
(एजेंसी)
First Published: Friday, April 27, 2012, 17:48