शाही स्नान के साथ हुआ महाकुंभ का आगाज़

शाही स्नान के साथ हुआ महाकुंभ का आगाज़

शाही स्नान के साथ हुआ महाकुंभ का आगाज़ज़ी न्यूज ब्यूरो

इलाहाबाद: मकर संक्राति के पावन पर्व पर सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन, महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। महाकुंभ का आगाज़ शाही स्नान के साथ हुआ। इस शाही स्नान के लिए सदियों से चली आ रही परंपरा का आज भी पालन होता दिखा। सबसे पहले शाही स्नान के लिए महानिर्वाणी अखाड़े को मौका दिया गया। शाही सवारी के साथ महानिर्वाणी अखाड़ा अलसुबह सवा 5 बजे संगम नगरी से निकलकर संगम तट के सेक्टर 4 पर पहुंचा। इसके नागा साधुओं और महामंडलेश्वर ने सबसे पहले संगम में ऐसी डुबकी लगाई। इसी शाही स्नान के साथ 55 दिनों तक चलने वाले धर्म और आस्था के महामेले की शुरुआत हो गई। अखाड़ों के स्नान के लिए बनाए गए घाट पर किसी और श्रद्धालु को जाने की इजाजत नहीं थी।

महानिर्वाणी अखाड़े के बाद अटल अखाड़े के साधु, संत और महामंडलेश्वर ने संगम में शाही स्नान किया। पूरे लाव लश्कर के साथ स्नान की विधि की शुरुआत हई। संन्यासियों के बाद वैरागी यानि जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंचअग्नि अखाड़ा एक साथ शाही स्नान के लिए लाव लश्कर के साथ पहुंचे। वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़ों निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही और दिगंबर अखाड़े ने शाही स्नान किया। वैष्णव संप्रदाय के बाद सबसे आखिर में उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़ों नया पंचायती, बड़ा पंचायती और निर्मल पंचायती अखाड़े के संन्यासियों ने भी शाही स्नान किया। संगम तट पर केवल साधु संत ही नहीं बल्कि गांव, कस्बे, शहर, देश और विदेश से आए श्रद्धालुओं का जनसैलाब संगम तट पर नज़र आया। सबके मन में बस यही आस्था थी कि बस अमृत के पानी में एक डुबकी लगा लें ताकि मन को अमरत्व की प्राप्ति हो जाए और आत्मा से हर तरह का कलेश और विकार निकल जाए। माना जा रहा है कि आज के शाही स्नान में एक करोड़ से ज्यादा लोग पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगा लेंगे। तीर्थों के राजा प्रयाग में श्रद्धा, भक्ति और धर्म के ज्ञान का अनोखा महाकुंभ का आगाज़ बड़े ही भव्यता के साथ हो चुका है।

First Published: Monday, January 14, 2013, 21:49

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