शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसकर्मी तुरंत सस्पेंड हों: गृह सचिव

शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसकर्मी तुरंत सस्पेंड हों: गृह सचिव

शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसकर्मी तुरंत सस्पेंड हों: गृह सचिवनई दिल्ली : केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने सुझाव दिया है कि अगर कोई पुलिसकर्मी शिकायत दर्ज करने से इंकार करता है तो उसे तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर कोई पुलिसकर्मी शिकायत दर्ज करने से इंकार करता है तो उसे निलंबित करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। यह कानून में है। शिकायत दर्ज नहीं करना कानून का उल्लंघन है।’’ सिंह के अनुसार लोगों को शिकायत दर्ज कराने से लेकर अपनी शिकायत पर हुयी कार्रवाई का पता लगाने तक कदम कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इसे बदलना होगा। महिलाओं, कमजोर तबकों या गरीबों के लिए, थाने जाना ही अपने आप में मुश्किल है। बिना स्थानीय विधायक की मदद के किसी शिकायत पर कार्रवाई का पता लगा पाना अत्यंत कठिन है।’’ गृह सचिव ने कहा कि ऐसा माहौल होना चाहिए जिसमें महिलाएं एवं कमजोर तबकों के लोग बिना किसी कठिनाई के अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।

उन्होंने कहा कि छेड़छाड़ जैसी घटनाओं की जानकारी पुलिस को देने के क्रम में आने वाली मुश्किलों के कारण ही कई लोग थाने जाने से हिचकते हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बदलाव आना चाहिए।

सिंह ने शुक्रवार को यहां देश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन में कहा, ‘‘ समय आ गया है जब एक देश के रूप में हम जागें। महिलाओं और कमजोर तबकों की सुरक्षा करने में हमारी असमर्थता एक बड़ी समस्या है।’’ यह सम्मेलन दिल्ली में चलती बस में 23 साल की एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और दरिंदगी की घटना के बाद आयोजित किया गया था। पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी।

गृह सचिव सिंह ने कहा कि सरकार ने कुछ कदम उठाये हैं लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि लोगों के रवैये में भी परिवर्तन होना चाहिए। सिंह ने कहा ‘हमें लोगों को महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का सम्मान देना सिखाना होगा। हमें सामाजिक संदेश, शिक्षा और अन्य तरीकों से इन समस्याओं पर गौर करना होगा।’ उन्होंने कहा कि शुरूआत करनी होगी। ‘हमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा। हमें जीवन की गरिमा सुनिश्चित करनी होगी।’ सिंह ने कहा कि किसी भी मामले की जांच समयपाबंद तरीके से होनी चाहिए और सीआरपीसी (आपराधिक दंड संहिता) के अनुसार यह तीन महीनों में पूरी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने महिलाओं और समाज के कमजोर तबकों के खिलाफ अपराधों से निबटने के लिए देशभर में फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करने की पहल की है।

गृह सचिव ने कहा कि न्याय में देर का मतलब एक तरह से न्याय नहीं मिलना होता है। यह सबसे बड़ी समस्या है। अगर मामले में देरी होती है तो गवाह आगे नहीं आते हैं और कई अन्य समस्याएं होती हैं। हमें जल्द सुनवाई शुरू करने की व्यवस्था करनी होगी।

सिंह ने कहा कि हर पुलिस अधिकारी को जवाबदेह और जिम्मेदार होना चाहिए और पुलिस तथा पुलिस व्यवस्था का रवैया बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच संवेदनशील तरीके से होनी चाहिए। सिंह ने सभी राज्य सरकारों से पुलिस बल में महिलाओं की संख्या 33 प्रतिशत तक बढाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि देश के कुल पुलिस बल में केवल 3 . 98 प्रतिशत महिलाएं हैं। सिंह ने सभी डीजीपी से कहा कि अगर महिला पुलिसकर्मी होती हैं, महिला शिकायतकर्ता पुलिस थाने में आने में सुरक्षित और सहज महसूस करती हैं। हमें लगता है कि 33 प्रतिशत पुलिस कांस्टेबल ओर उपनिरीक्षक महिलाएं होनी चाहिए।

सिंह ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कहा कि हमने दिल्ली पुलिस को महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढाने का सुझाव दिया है और हम आपको भी इस लक्ष्य को पाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का सुझाव देते हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 6, 2013, 13:00

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