Last Updated: Tuesday, February 14, 2012, 12:04
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि बाजार के मौजूदा नियामकीय ढांचे की समीक्षा की जरूरत है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं वह श्रम कल्याण में बिना किसी वास्तविक योगदान के विकास, रोजगार वृद्धि तथा उद्योगों की राह में आड़े तो नहीं आ रहा है।
सिंह ने कहा, हालांकि हमारी सरकार अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा को लेकर प्रति प्रतिबद्ध है लेकिन हमें समय समय पर इसकी समीक्षा करनी चाहिए कि कहीं हमारे नियामक ढांचे में कुछ ऐसा तो नहीं है जिससे श्रम कल्याण में बिना किसी उल्लेखनीय योगदान के बेवजह रोजगार, उद्यम और उद्योग की वृद्धि प्रभावित हो रही हो।
उन्होंने कहा कि सरकार सभी कामगारों की बेहतरी चाहती है और वह ऐसे प्रावधान बनाने पर विचार कर रही है जिससे अंशकालिक तथा पूर्णकालिक, दोनों तरह के काम को इन प्रावधानों की दृष्टि से एकही तरह से देखा जाएगा।
प्रधानमंत्री ने यहां 44वें भारतीय श्रम सम्मेलन में कहा, यदि इसके लिए कानून में बदलाव की जरूरत होती है तो हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए और इसे वास्तविक स्वरूप देने के लिए खाका तैयार करने के संबंध में काम शुरू करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में राज्य सरकारें श्रम बाजार के पुनर्गठन और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए अपने रवैये में पहले की अपेक्षा ज्यादा लचीलापन दिखा रही हैं जबकि ऐसी धारणा है कि भारत में श्रम संबंधी नीतियां रोजगारयाफ्ता श्रमिकों के हितों का जरूरत से ज्यादा ध्यान रखती हैं तथा ऐसी नीतियों के चलते रोजगार का विस्तार नहीं हो पाता।
उन्होंने कहा कि सरकार श्रम कानून को मजबूत करने और उनका अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकार फैक्ट्री अधिनियम 1948 में संशोधन की प्रक्रिया में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी महत्वाकांक्षा है कि देश सालाना नौ फीसद वाषिर्क की दर से वृद्धि करे। यह तभी हो सकेगा जबकि नियोक्ता और कामगारों के प्रतिनिधि कंधे से कंधा मिला कर चलें। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 14, 2012, 17:34