Last Updated: Wednesday, March 20, 2013, 23:18

नई दिल्ली : श्रीलंका के खिलाफ संसद में प्रस्ताव की संभावनाओं को खंगालने के लिए सरकार की ओर से बुधवार शाम बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में ज्यादातर दलों ने इस कदम का विरोध किया। इसके साथ ही सरकार के पास अब इस संबंध में कोई रास्ता नहीं बचा है। 90 मिनट तक चली बैठक में सिर्फ द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाने के विचार का समर्थन किया।
सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर दल इसके पक्ष में नहीं थे इसलिए इस विचार को लगभग त्याग दिया गया। बाहर से सरकार का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी ने कहा कि श्रीलंका एक मित्र देश है और भारतीय संसद को उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं करना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ की ओर से बुलाई गई बैठक से बाहर निकलते हुए सपा नेता रेवती रमण सिंह ने कहा, ‘हम श्रीलंकाई तमिलों के साथ हैं लेकिन संसद में किसी प्रस्ताव की जरूरत नहीं है क्योंकि चीन के खिलाफ वर्ष 1962 के युद्ध में सिर्फ श्रीलंका ही हमारे साथ खड़ा था।’ उन्होंने कहा, ‘हमने हाल ही में अफजल गुरु पर पाकिस्तानी संसद के प्रस्ताव को खारिज किया है। हम एक मित्र देश के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् में भारत को वही करना चाहिए जो राष्ट्रीय हित में और श्रीलंका के तमिलों के हित में हो।’
जद (यू) के शरद यादव ने भी बैठक में ऐसे ही विचार व्यक्त किए। ऐसा समझा जा रहा है कि उन्होंने एक सम्प्रभु राष्ट्र के विरूद्ध संसद में प्रस्ताव लाने के औचित्य पर सवाल खड़े किए। सूत्रों का कहना है कि ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने बैठक में कहा कि भारत को श्रीलंकाई तमिलों को राहत देना है तो वह मेजबान देश से दुश्मनी मोल लिए बगैर ऐसा करे। कमलनाथ ने कहा कि बैठक ‘अनिर्णायक’ रही। उन्होंने कहा कि संसद में श्रीलंकाई तमिल मामले पर उत्पन्न गतिरोध को समाप्त करने के लिए बैठक बुलाई गई थी लेकिन ‘इसका कोई परिणाम नहीं निकला।’
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सवाल उठाया कि सभी दलों को एक ऐसे मुद्दे पर विचार करने के लिए बैठक में क्यों बुलाया गया जो पूरी तरह से सरकार और द्रमुक के बीच है। सरकार से कल ही समर्थन वापस लेने वाली द्रमुक की मांग है कि केन्द्र सरकार को श्रीलंका के खिलाफ संसद में प्रस्ताव पारित कराना चाहिए।
सुषमा ने कहा कि सरकार ने विपक्ष से कहा था कि वह श्रीलंका मुद्दे पर संसद में चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए बैठक करना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘हमने कभी गतिरोध उत्पन्न नहीं किया। गतिरोध सरकार और द्रमुक के बीच है और वक्त आ गया है जब दोनों आपस में बैठ कर उसे सुलझाएं।’ भाकपा नेता गुरदास दासगुप्ता ने कहा कि मुद्दा सरकार और द्रमुक के बीच का है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 20, 2013, 19:23