Last Updated: Tuesday, May 14, 2013, 19:49

मुंबई : मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से जुड़े मामले में दोषी ठहराए गए अभिनेता संजय दत्त ने मंगलवार को यहां टाडा अदालत से कहा कि चरमपंथी समूहों से उनकी जान को खतरा है इसलिए उन्हें विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करने की बजाय यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी जाए।
दत्त ने विशेष टाडा न्यायाधीश जीए सनाप के समक्ष आवेदन दायर किया जिसमें दक्षिण मुंबई में विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने की बजाय पुणे में यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति मांगी।
गैरकानूनी तरीके से नौ एमएम की पिस्तौल और एके 56 राइफल रखने के जुर्म में शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए दत्त की दोषसिद्धि को हाल में उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने विशेष टाडा अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई छह साल के कारावास की सजा छह साल से घटाकर पांच साल कर दी थी। शीर्ष अदालत ने उनके अपराध की प्रकृति को गंभीर बताते हुए उन्हें प्रोबेशन पर रिहा करने से इंकार कर दिया था।
विशेष अदालत में पेश आवेदन में कहा गया है, ‘चरमपंथी समूहों और निहित स्वार्थी तत्वों से आवेदक (दत्त) की जान को खतरा है।’
अर्जी में यह भी दावा किया गया है कि अभिनेता पिछली स्थिति से बचना चाहते हैं जब मीडियाकर्मियों और कैमरामैनों ने उस समय मुंबई से पुणे तक उनका पीछा किया था जब विशेष टाडा अदालत के फैसले के बाद उन्हें जेल ले जाया जा रहा था।
आवेदन में कहा गया है, ‘मीडिया के वाहनों ने पिछली बार 120 किलोमीटर तक आवेदक के वाहन का पीछा किया था।’ न्यायाधीश सनाप ने अभियोजन एजेंसी सीबीआई को जवाब दायर करने का आदेश देते हुये दत्त की अर्जी पर सुनवाई की तारीख कल के लिए निर्धारित कर दी। लोक अभियोजक दीपक साल्वी सरकार और सीबीआई की ओर से उपस्थित हुए थे।
दत्त ने टाडा अदालत में आवेदन उच्चतम न्यायालय द्वारा 1993 के मुंबई बम धमाके मामले में 42 माह के कारावास की सजा काटने के लिए उन्हें और समय देने से इंकार करने के कुछ ही घंटे बाद दायर किया।
शीर्ष अदालत एक फिल्म निर्माता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसने अपनी निर्माणाधीन फिल्म को पूरा करने के लिए दत्त को आत्मसमर्पण करने के लिए और समय देने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने गत 10 मई को पांच साल की सजा के खिलाफ दत्त की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने इससे पहले 53 वर्षीय दत्त को 42 महीने के शेष कारावास की सजा को काटने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने गत 21 मार्च को 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था लेकिन उन्हें सुनाई गई छह साल के कारावास की सजा कम कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि इन धमाकों को माफिया सरगना दाउद इब्राहिम और अन्य ने आईएसआई के साथ मिलकर अंजाम दिया था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 14, 2013, 16:26