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संपादकों को बेल से इनकार पर ज़ी न्यूज निराश

नई दिल्ली: ज़ी न्यूज ने कोयला घोटाले को उजागर करने की अपनी श्रृंखला से संबंधित एक मामले में अपने दो संपादकों सुधीर चौधरी (ज़ी न्यूज) और समीर अहलूवालिया (ज़ी बिजनेस) को जमानत नहीं दिए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। गौरतबल है कि इस घोटाले में कांग्रेस के सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल शामिल हैं। जिंदल के कोयला घोटाले में मीडिया कवरेज को रोकने के लिए 100 करोड़ रुपए के विज्ञापन अनुबंध के प्रयासों को दोनों संपादकों ने बेनकाब कर दिया होता।

आज की कार्रवाई को देखते हुए ज़ी न्यूज लिमिडेट ने कहा कि 1.86 लाख करोड़ के कोयला घोटाले को उजागर करने पर पत्रकारों को परेशान करने और सच को छिपाने का एक समन्वित प्रयास है। सीएजी ने कोलगेट घोटाले में फायदा उठाने वालों में नवीन जिंदल का नाम शामिल किया था।

ज़ी न्यूज की वकील रेबेका जॉन ने कहा, हम निराश हैं पर विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा और हमारे दोनों संपादक निर्दोष साबित होंगे। हमें आशा है न्यायालय हमें न्याय देगा।

वकील आर के हंडू ने कहा, आज का आदेश प्रारंभिक तकनीकी आधार पर है और जिसमें तथ्यों पर विचार नहीं किया गया है

ज़ी न्यूज का मानना है कि ज़ी न्यूज के संपादकों की गिरफ्तारी के पूरे प्रकरण और जानबूझकर उनकी जमानत में देरी के पीछे ईमानदार पत्रकारिता और ज़ी न्यूज को बदनाम करने की कोशिश है तथा कोयला घोटाले में धांधली कर रहे जेएसपीएल की ओर से ध्यान हटाना है। नवीन जिंदल का इतिहास रहा है जो उसकी सच्चाई को उजागर करता है उसके खिलाफ गलत तरीके से हमला किया जाता है।

ज़ी न्यूज के दोनों संपादकों को दिल्ली पुलिस ने 27 नवंबर को गिरफ्तार किया था। पहले उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था और फिर 30 नवंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत भेजा गया। एक दिसंबर को जब ज़ी न्यूज के संपादकों ने कोर्ट में जमानत की याचिका दी तो उस वक्त जांच अधिकारी और सरकारी वकील के उपस्थित नहीं होने पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई की, और उससे जवाब तलब किया।

ज़ी ने दोहराया कि गिरफ्तारी अनुचित, अवैध और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। सिविल सोसायटी, मीडिया और कई सीनियर नेताओं ने संपादकों गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है।

ज़ी न्यूज नवीन जिंदल और जेएसपीएल द्वारा कोयला घोटाले की सच्चाई को छिपाने के किसी भी प्रयास को विफल करते हुए सच को उजागर करने में लगा रहेगा।

First Published: Monday, December 3, 2012, 22:21

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