Last Updated: Sunday, September 2, 2012, 20:34

मुम्बई/भोपाल : भाजपा ने आज अपने रुख में थोड़ी नरमी लाते हुए कहा कि यदि सरकार कोल ब्लॉकों के लाइसेंस रद्द करके आवंटनों की एक स्वतंत्र जांच का आदेश दे तो वह कोयला घोटाले पर संसद में चर्चा कराने के लिए तैयार हो सकती है। लेकिन पार्टी ने यह स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के त्यागपत्र की मांग नहीं छोड़ेगी।
भाजपा ने अपने पुराने रुख में थोड़ी नरमी दिखाई है। इससे पहले पार्टी ने प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग को लेकर अड़े रहकर मानसून सत्र के अधिकतर समय संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मुम्बई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने सोनिया जी से कहा कि कोयला ब्लाकों के आवंटन रद्द होने चाहिए और एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच के आदेश दिये जाने चाहिए। यदि आप इन दोनों मांगों पर सहमत हैं तो हम चर्चा शुरू कर सकते हैं और संसद चल सकती है।’
सुषमा की यह टिप्पणी वाम मोर्चा, समाजवादी पार्टी, तेदेपा और कुछ अन्य पार्टियों की ओर से इस बात पर जोर दिये जाने के मद्देनजर भाजपा के अलग थलग पड़ने के बीच आई है कि संसद को चलने दिया जाए और मुद्दे पर चर्चा हो। राजग के प्रमुख सहयोगी दल जदयू की भी यह इच्छा है कि संसद चले ताकि कोयला घोटाले पर सरकार का ‘परदाफाश’ हो सके। सुषमा ने उन अटकलों को खारिज किया कि पार्टी प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की अपनी मांग से पीछे हट गई है। उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग पर पीछे नहीं हटे हैं। हम अपनी मांग पर कायम हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए।’
भाजपा नेता ने कल ट्विटर पर लिखा था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद में जारी गतिरोध समाप्त करने के बारे में उनसे बात की थी। उन्होंने आज कहा कि उन्हें पार्टी की मांगों को लेकर सोनिया की ओर से अभी भी कोई संकेत नहीं मिला है। सुषमा ने ट्विटर पर अपनी मांगों की सूची दी थी लेकिन प्रधानमंत्री के त्यागपत्र का उसमें कोई उल्लेख नहीं किया था। सुषमा ने कहा, ‘मीडिया के एक वर्ग द्वारा (भाजपा के रुख नरम करने के बारे में) निकाला गया निष्कर्ष पूरी तरह से गलत है। भाजपा प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग को लेकर दृढ़ है। इस पर पीछे हटने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।’
उन्होंने कहा कि भाजपा कोयला आवंटनों के लिए प्रधानमंत्री को ‘सीधे तौर पर जिम्मेदार’ ठहराती है क्योंकि उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार उन्हीं के पास था। सुषमा ने कहा कि इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम संसद का सत्र 7 सितम्बर को समाप्त होने के बाद सड़कों पर उतरेंगे।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 2, 2012, 14:48