Last Updated: Thursday, November 29, 2012, 12:36
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने आज नियम-184 के तहत एफडीआई पर चर्चा कराने की भाजपा की मांग को मानते हुए इस मुद्दे पर चर्चा कराने का फैसला किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि चर्चा अगले सप्ताह मंगलवार या बुधवार को कराई जा सकती है।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के मुद्दे पर मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत चर्चा कराने का नोटिस स्वीकार कर लिया। आज सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा, ‘मुझे मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के मुद्दे पर नियम 184 के तहत चर्चा कराने के संबंध में 30 नोटिस प्राप्त हुए हैं। मैंने इसे स्वीकार कर लिया है।’ उन्होंने कहा कि चर्चा की तिथि और समय का निर्णय बाद में किया जाएगा।’
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने अध्यक्ष की व्यवस्था पर धन्यवाद देते हुए कहा, ‘सदन की भावना को ध्यान में रखने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करती हूं और आपको विश्वास दिलाती हूं कि अब सदन सुचारू रूप से चलेगा।’
गौरतलब है कि मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के मुद्दे पर हंगामे के कारण 22 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार चार दिन कोई कामकाज नहीं हो सका। इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का भी प्रयास किया लेकिन संख्या बल नहीं होने के कारण यह प्रयास विफल रहा था।
गतिरोध समाप्त करने के प्रयास सर्वदलीय बैठक बुलायी गई जो बेनतीजा रही क्योंकि विपक्ष मतविभाजन के प्रावधान के तहत चर्चा कराने पर अड़ा हुआ था। बहरहाल, संप्रग के घटक दलों की बैठक के बाद संसद में जारी गतिरोध दूर करने का रास्ता निकल सका। बैठक के बाद संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने कहा था, ‘स्पीकर और सरकार के किसी भी फैसले पर संप्रग पूरी तरह एकजुट है। सभी घटक सरकार के पीछे पूरी तरह एकजुट हैं।’
इससे पहले बुधवार को एफडीआई के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा कराने को तैयार हो गई थी किस नियम के तहत चर्चा कराई जाए इसका फैसला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार पर छोड़ दिया था।
संप्रग की सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) हालांकि एफडीआई के विरोध में है लेकिन उसने साफ कर दिया है मत विभाजन की स्थिति में वह सरकार का साथ देगी। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी हालांकि इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन मतविभाजन पर उनका स्पष्ट रुख अब तक सामने नहीं आया है। सूत्रों का कहना है कि दोनों दल मतविभाजन में भाग न लेकर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का सहयोग कर सकते हैं। सरकार को तृणमूल कांग्रेस के उस फैसले से भी राहत मिली है जिसमें उसने कहा है कि बहस किसी नियम के तहत हो, इसकी चर्चा पीठासीन अधिकारी करे। हालांकि सरकार तृणमूल का समर्थन मिलने को लेकर आश्वस्त नहीं है।
First Published: Thursday, November 29, 2012, 10:08