Last Updated: Tuesday, September 25, 2012, 16:13
नई दिल्ली : मोतीलाल नेहरू की 150वीं वषर्गांठ के उत्सव की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि नेहरू जैसे नेताओं द्वारा विकसित संस्थाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्हें ध्वस्त करने की बजाय मजबूत करना चाहिए।
मोतीलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने लोक लेखा समिति विकसित करने और केन्द्रीय विधायी परिषद (संसद) के लिए पृथक कैडर स्थापित कर कार्यपालिका से विधायिका की स्वतंत्रता की सुरक्षा करने जैसे कार्यो में नेहरू के योगदान को गिनाया। तैयार भाषण से हटकर मुखर्जी ने नेहरू आयोग की रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बोलते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1919 और 1928 के सत्रों में मोतीलाल की भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने मोतीलाल के अपने बेटे जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के साथ वैचाारिक मतभेद का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि हम यदि मोतीलाल के सिद्धांतों का पालन करते हैं, संस्थाओं का सम्मान करते हैं, संस्थाओं को मजबूत बनाते हैं तो हम उनकी 150वीं वषर्गांठ पर उन्हें सम्मान दे सकते हैं। खुद को इतिहास का छात्र बताते हुए मुखर्जी ने कहा कि मोतीलाल की स्वराज पार्टी ने विधायी परिषद में अनुशासित बल का काम किया और लोक लेखा समिति की व्यवस्था विकसित करने का श्रेय मोतीलाल को ही जाता है जो इस समय सबसे प्रभावशाली ‘वाचडाग’ है।
इस मौके पर जारी सिक्के और डाकटिकट का पहला सेट मुखर्जी ने प्रापत किया। समारोह में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि मोतीलाल उन नेताओं में से एक हैं, जिनकी उपलब्धि को आधुनिक भारत ने नजरअंदाज कर दिया। मुखर्जी ने कहा कि 1861 से 1869 के बीच भारत में रबिन्द्रनाथ टैगौर, स्वामी विवेकानंद, मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी जैसी महान हस्तियां आयीं, जो काफी लोकप्रिय हुई। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 25, 2012, 16:13