Last Updated: Thursday, July 12, 2012, 00:46

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायलय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर बुधवार को रोक लगा दी ।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की खंडपीठ ने सज्जन कुमार की याचिका पर निचली अदालत को इस मामले में 27 जुलाई तक कार्यवाही नहीं करने का निर्देश दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन जुलाई को सज्जन कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। उच्च न्यायालय में 27 जुलाई को ही सज्जन कुमार की याचिका पर आगे सुनवाई होने की संभावना है। सज्जन कुमार विभिन्न जांच आयोगों के समक्ष सिख विरोधी दंगों की गवाह जगदीश कौर के बयान और हलफनामे का अपने बचाव के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सज्जन कुमार की याचिका का जोरदार तरीके से विरोध किया। जांच ब्यूरो का तर्क था कि यह निचली अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई में विलंब करने का तरीका है।
लेकिन न्यायालय जांच ब्यूरो की इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। न्यायाधीशों ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि सज्जन कुमार की याचिका पर तेजी से सुनवाई की जाए।
निचली अदालत ने दो जून को सज्जन कुमार की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि गवाह जगदीश कौर के न्यायिक आयोगों के समक्ष बयान को किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ।
सज्जन कुमार का कहना था कि शिकायतकर्ता और मुख्य गवाह कौर के शपथ पत्र और बयान को जिरह के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए । कौर ने दंगे की जांच करने वाले न्यायिक आयोगों में ये बयान दिए थे ।
दिल्ली के पूर्व सांसद ने अपनी अर्जी में कहा था कि सीबीआई के अभियोजक आरएस चीमा ने 12 जुलाई 2010 को अदालत से कहा था कि जी. टी. नानावटी आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष दिए गए कौर के बयान और हलफनामे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमें विरोधाभास है ।
इस मामले में 27 जुलाई तक कार्यवाही नहीं करने का निर्देश दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन जुलाई को सज्जन कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। उच्च न्यायालय में 27 जुलाई को ही सज्जन कुमार की याचिका पर आगे सुनवाई होने की संभावना है। सज्जन कुमार विभिन्न जांच आयोगों के समक्ष सिख विरोधी दंगों की गवाह जगदीश कौर के बयान और हलफनामे का अपने बचाव के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सज्जन कुमार की याचिका का जोरदार तरीके से विरोध किया। जांच ब्यूरो का तर्क था कि यह निचली अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई में विलंब करने का तरीका है।
लेकिन न्यायालय जांच ब्यूरो की इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। न्यायाधीशों ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि सज्जन कुमार की याचिका पर तेजी से सुनवाई की जाए।
निचली अदालत ने दो जून को सज्जन कुमार की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि गवाह जगदीश कौर के न्यायिक आयोगों के समक्ष बयान को किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ।
सज्जन कुमार का कहना था कि शिकायतकर्ता और मुख्य गवाह कौर के शपथ पत्र और बयान को जिरह के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए । कौर ने दंगे की जांच करने वाले न्यायिक आयोगों में ये बयान दिए थे ।
दिल्ली के पूर्व सांसद ने अपनी अर्जी में कहा था कि सीबीआई के अभियोजक आर. एस. चीमा ने 12 जुलाई 2010 को अदालत से कहा था कि जी. टी. नानावटी आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष दिए गए कौर के बयान और हलफनामे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमें विरोधाभास है । (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 12, 2012, 00:46