Last Updated: Thursday, December 15, 2011, 05:23
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : लोकपाल बिल पर बुधवार रात सर्वदलीय बैठक के बेनतीजा रहने के बाद गांधीवादी अन्ना हजारे ने गुरुवार को सरकार से साफ कह दिया है कि लोकपाल को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित कराना ही होगा, भले ही इसके लिए सत्र की अवधि क्यों न बढ़ानी पड़े।
अन्ना हजारे ने लोकपाल विधेयक को पारित करने के लिए संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र को बढ़ाने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि विधेयक को जल्द संसद में पेश नहीं किया तो वह अनशन पर जाएंगे। अन्ना हजारे की ओर से यह टिप्पणी लोकपाल के मुद्दे पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर आम राय नहीं बन पाने के एक दिन बाद आई है।
अन्ना ने कहा कि उनका विश्वास है कि संसद विधेयक को पारित कर देगी क्योंकि सरकार में शामिल सभी लोगों ने उनकी टीम को इस बात का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा, ‘सर्वदलीय बैठक में नहीं तो संसद में आम सहमति बनेगी। वहां पर सभी सांसद मौजूद होंगे, यह वहां पर पारित हो जाएगा। कल लोगों ने अच्छे बिंदु आगे रखे, कुछ ने कमियां इंगित कीं।’ अन्ना पक्ष की कोर कमेटी की दूसरे दिन की बैठक शुरू होने से पहले अन्ना ने कहा, ‘सरकार में शामिल सभी लोग हमें यह भरोसा दे रहे हैं कि हमें लोकपाल विधेयक मिलेगा। इसलिए हमें उनमें भरोसा होना चाहिए। लेकिन यदि वे लोकपाल नहीं लाए तो हमें आंदोलन करना होगा।’
अन्ना ने लोकपाल विधेयक को पारित करने के लिए संसद के जारी शीतकालीन सत्र को बढ़ाने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा, ‘विधेयक को पारित करने के लिए वर्तमान कार्यसूची के तहत यदि कोई समय नहीं है तो इसे बढ़ाइए।’ अन्ना ने कहा, ‘यह देश के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं जब संसद सत्र को विस्तारित किया गया है।’ उन्होंने कहा कि दिल्ली में 27 दिसम्बर से प्रस्तावित आंदोलन को मौसम के मद्देनजर मुम्बई स्थानांतरित किया जा सकता है। मौसम ठीक रहा तो वह दिल्ली में होगा।
सर्वदलीय बैठक पर पूछे गए सवालों के जवाब में टीम अन्ना की सदस्य किरन बेदी ने कहा कि सीबीआई की स्वायत्तता के मुद्दे पर लगभग सभी पार्टियां एकमत हैं। यह पूछे जाने पर कि कुछ नेताओं ने विधेयक को पारित करने में जल्दबाजी के खिलाफ सरकार को चेतावनी दी है, किरन ने कहा, ‘ये कौन पार्टियां हैं? निश्चित रूप से भाजपा नहीं हो सकती क्योंकि सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर कहा है कि वे यह विधेयक इसी सत्र में चाहते हैं। क्या ये वे नेता हैं जिन्हें समझा-बुझा लिया गया है या यह वे जो अलग-थलग हैं?’
First Published: Thursday, December 15, 2011, 14:19