`सनसनीखेज रिपोर्ट बनाकर लक्ष्मण रेखा लांघ रहा है कैग`

`सनसनीखेज रिपोर्ट बनाकर लक्ष्मण रेखा लांघ रहा है कैग`

`सनसनीखेज रिपोर्ट बनाकर लक्ष्मण रेखा लांघ रहा है कैग`नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताज़ा तीन रिपोर्ट से विपक्ष के निशाने पर आई कांग्रेस ने कैग पर अपनी रिपोर्ट को सनसनीखेज बनाने और लक्ष्मणरेखा पार करने का आज आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि अगर किसी संवैधानिक संस्था ने बेहतर संतुलन नहीं बनाये रखा और हद को पार करने का निश्चय किया तो उसके ‘‘दीर्घकालीन परिणाम’’ होंगे।

पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कोयला क्षेत्र पर कैग की रिपोर्ट को ‘बकवास’ करार देने का प्रयास करते हुए याद दिलाया कि उच्चतम न्यायालय ने टूजी आवंटन मामले में कैग द्वारा इंगित किये गये एक लाख 76 हजार करोड़ रूपये के अनुमानित नुकसान की पुष्टि नहीं की थी।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने टूजी लाइसेंसों को रद्द करते हुए अनुमानित नुकसान के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की थी। अगर शीर्ष अदालत कैग के कथन से सहमत होती तो वह अनुमानित लागत की पुष्टि करती।

तिवारी की यह टिप्पणी संवाददाताओं के ढेर सारे सवालों के जवाब में थी। इनमें मुख्य सवाल यह था कि क्या कैग लक्ष्मण रेखा पार कर रहा है। उनसे कोयला क्षेत्र पर कैग की रिपोर्ट के मद्देनजर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की भाजपा की मांग के बारे में भी पूछा गया था।

सरकार पहले ही कैग के निष्कषो’ को खारिज कर चुकी है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा है कि वह कैग की गणित से सहमत नहीं हैं जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने लेखा परीक्षक पर संविधान प्रदत्त अपने अधिकार क्षेत्र का अनुसरण नहीं करने का आरोप लगाया।

तिवारी ने कहा कि शून्य जोड़ने की कैग की आदत है और उसे इससे बचना चाहिए। लेखा परीक्षक को उच्चतम न्यायालय द्वारा टूजी आवंटन में अनुमानित नुकसान की पुष्टि न करने की बात से सबक लेना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आवंटित किये गये 57 कोयला ब्लाकों में से 56 में अभी खनन का काम शुरू नहीं हुआ है। अगर यह स्थिति है तो किसे लाभ हुआ है और किसे नुकसान हुआ है। उनका यह भी कहना था कि सिर्फ लोक लेखा समिति ही कैग के निष्कर्षों की समीक्षा कर सकती है। उन्होंने इस मुद्दे पर भाजपा पर दोहरा मापदंड अपनाने का भी आरोप लगाया।

कैग ने संसद में कल पेश अपनी रिपोटरे में कोयला खानों के आवंटन में प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया समय पर लागू नहीं करने के लिये सरकार की खिंचाई की है। उसने कहा है कि सरकार ने यदि समय रहते बोली प्रक्रिया शुरु कर देती तो 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का कुछ हिस्सा बचाया जा सकता था। इसमें कहा गया कोयला ब्लॉक आवंटन के लिये प्रतिस्पर्धी बोलियां मंगाने का जल्द फैसला लेकर सरकार इस वित्तीय लाभ का कुछ हिस्सा हासिल कर सकती थी। (एजेंसी)

First Published: Saturday, August 18, 2012, 21:03

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