Last Updated: Tuesday, December 13, 2011, 12:39
नई दिल्ली : विपक्ष के हमलों के आगे झुकते हुए खुदरा एफडीआई के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूत होने के बाद सरकार को एक बार फिर किरकिरी का सामना करना पडा, जब उसके दो विधेयकों को संसदीय समिति ने नामंजूर कर दिया। इनमें से एक विधेयक तो बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढाने और दूसरा विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण से संबंधित था।
वित्त संबंधी स्थायी समिति की बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2008 को लेकर आज लोकसभा में पेश रिपोर्ट में कहा गया कि बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा बढाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव शायद बिना किसी उचित वस्तुपरक आकलन के किया गया है। रपट में आगे कहा गया कि समिति महसूस करती है कि बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी की बडी भूमिका से लगता नहीं है कि अपेक्षित परिणाम हासिल होंगे।
उधर, राष्ट्रीय सुरक्षा की चिन्ताओं और आधार संख्या जारी करने में गंभीर खामियों सहित कई ऐसे कारण गिनाते हुए संसदीय समिति ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) विधेयक को नामंजूर कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही विधेयकों को नामंजूर करने वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष भाजपा नेता यशवंत सिन्हा हैं।
लोकसभा में आज ही पेश वित्त संबंधी स्थायी समिति की रपट में कहा गया कि यूआईडी स्कीम के बारे में चिन्ताओं और आशंकाओं को देखते हुए विशेषकर इसके कार्यान्वयन और इसके आशय पर सरकार के भीतर ही विरोधाभासों और अस्पष्टता पर विचार करते हुए समिति विधेयक को वर्तमान रूप में अस्वीकार करती है। समिति ने सरकार से आग्रह किया कि वह यूआईडी स्कीम और विधेयक में किए गए प्रस्तावों के सभी पहलुओं पर पुन: विचार और समीक्षा करे और संसद के समक्ष नया कानून लाए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 13, 2011, 21:09