Last Updated: Wednesday, March 20, 2013, 13:34

नई दिल्ली: संप्रग सरकार से द्रमुक के समर्थन वापस लेने से अप्रभावित सरकार ने बुधवार को जोर देकर कहा कि वह पूरी तरह से ‘स्थिर’ है और ‘कमजोर’ नहीं है तथा वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष श्रीलंका से जुड़े प्रस्ताव पर संशोधन पेश करेगी ताकि उस देश में मानवाधिकारों के बारे में ‘ठोस संदेश’ पहुंचाया जा सके।
इस विषय पर सरकार का पक्ष उसके तीन वरिष्ठ मंत्रियों पी चिदंबरम, कमलनाथ और मनीष तिवारी ने मीडिया के समक्ष रखते हुए जोर दिया कि द्रमुक की मांग विचार की प्रक्रिया में थी।
उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि उसके सहयोगी द्रमुक ने समर्थन वापस लेने के निर्णय पर फिर से विचार करने का वायदा करने के बाद अपने रूख में परिवर्तन क्यों किया। गौरतलब है कि संप्रग सरकार के दूसरे सबसे बड़े घटक रहे द्रमुक के लोकसभा में 18 सदस्य हैं।
सरकार की स्थिरता के बारे में पूछने पर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि हमारी सरकार कमजोर नहीं है। सरकार अशक्त नहीं है बल्कि स्थिर है। कोई भी राजनीतिक दल हमारे बहुमत को चुनौती देने आगे नहीं आया है।
चिदंबरम ने कहा कि भारत चाहता है कि जिनीवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका पर ‘कड़े’ प्रस्ताव का अनुमोदन किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत इस संबंध में मसौदे में संशोधन पेश करेगा ताकि तमिलों के मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर उस देश को ठोस संदेश पहुंचाया जा सके और उसे स्वतंत्र जांच के लिए राजी किया जा सके। वित्त मंत्री ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि भारत ने अमेरिका के कड़े शब्दों वाले प्रस्ताव को हल्का करने की कोशिश की और कहा कि यह कोरी अफवाह है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई तमिलों के बारे में संसद में प्रस्ताव पारित करने की द्रमुक की दूसरी मांग पर भी अन्य दलों से विचार विमर्श की प्रक्रिया चल रही है।
चिदंबरम ने दावा किया कि इस मुद्दे पर सरकार के रूख से द्रमुक वाकिफ है लेकिन उसने 18 मार्च की रात और 19 मार्च की सुबह के बीच अपने रूख में परिवर्तन किया।
उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में नहीं जानकारी है कि द्रमुक ने 18 मार्च की रात और 19 मार्च की सुबह के बीच अपना रूख क्यों बदला।’’ चिदंबरम ने कहा कि द्रमुक सुप्रीमो एम करूणानिधि ने कहा था कि पार्टी समर्थन वापस लेने के निर्णय पर पुनर्विचार करेगी बशर्ते संसद में 22 मार्च से पहले इस बारे में प्रस्ताव पारित किया जाए।
नये सहयोगियों की संभावनाओं पर सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘ लोकतंत्र में खिड़की और दरवाजे हमेशा खुले रखे जाते हैं । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 20, 2013, 10:41