सरबजीत सिंह : कुछ यूं तय हुआ 23 साल का सफर

सरबजीत सिंह : कुछ यूं तय हुआ 23 साल का सफर

सरबजीत सिंह : कुछ यूं तय हुआ 23 साल का सफरज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : सरबजीत सिंह को वर्ष 1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फैसलाबाद में हुए चार बम धमाकों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इन धमाकों में कम से कम 10 लोग मारे गए थे। पाकिस्तान में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से गिरफ्तार किया गया था।

अपने बचाव में सरबजीत ने यह तर्क दिया था कि वह निर्दोष हैं और भारत के तरनतारन के किसान हैं। गलती से उन्होंने सीमा पार की और पाकिस्तान पहुंच गए लेकिन लाहौर की एक कोर्ट में उन पर मुकदमा चला और 1991 में अदालत ने उनको मौत की सजा सुनाई।

निचले अदालत की यह सजा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल रखी। सरबजीत ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसे 2006 में खारिज कर दिया गया।

उनकी रिहाई के लिए दोनों देश के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपील की। पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्व मंत्री अंसार बर्नी इस मामले में पाकिस्तान के राष्ट्रपति से गुहार लगाई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

भारत में सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने काफी कोशिशें की । हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने भी सरबजीत की रिहाई के लिए प्रयास किए।

मुंबई हमले के मुख्य आरोपी आमिर अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद सरबजीत को लेकर चिंता बढ़ गई थी. क्योंकि पाकिस्तान के कुछ कट्टरपंथी संस्था सरबजीत की फांसी की मांग करने लगे थे लेकिन सरबजीत पर सरकार के ढीले रवैये की वजह से सरबजीत कभी भारत वापस नहीं लौट सके और 26 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में हुए हमले के बाद पाकिस्तान के एक अस्पताल में बीती रात अंतिम सांस ली।

First Published: Thursday, May 2, 2013, 09:36

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