सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक कल

सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक कल

नई दिल्ली : सांप्रदायिक हिंसा रोकने और इससे निपटने के उपायों पर राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआईसी) की कल हो रही बैठक में विस्तार से चर्चा की जायेगी। यह बैठक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों के कुछ ही दिन बाद हो रही है। दंगों में 48 लोगों की जान गयी थी।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली 148 सदस्यीय एनआईसी सांप्रदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित करने के उपायों, राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करने में सोशल नेटवकिंग साइटों की भूमिका और नफरत फैलाने वाले दुष्प्रचार से निपटने के तौर तरीकों पर चर्चा करेगी।

एजेंडा के मुताबिक एनआईसी में महिलाओं की सुरक्षा, सांप्रदायिक उपद्रवों से निपटने, विश्वास बहाली के उपायों पर बातचीत होगी। बैठक में चर्चा भी होगी कि सांप्रदायिक तनाव खत्म करने में समाज के सभी वगो’ से कैसे मदद ली जाए।

केन्द्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, सभी राज्यों एवं संघशासित क्षेत्रों के मुख्यमंत्री एवं प्रशासक एनआईसी के सदस्य हैं। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नेता, राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष, प्रख्यात पत्रकार, सार्वजनिक हस्तियां, कारोबार जगत के प्रतिनिधि और महिला संगठन भी एनआईसी का हिस्सा हैं।

प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का कुछ राज्यों ने विरोध किया है क्योंकि यह विधेयक सांप्रदायिक उपद्रव होने की स्थिति में केन्द्र सरकार को एकतरफा केन्द्रीय बल भेजने का अधिकार देने का प्रस्ताव करता है। एनआईसी की बैठक में इस बारे में भी चर्चा की उम्मीद है।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए उठाये गये कदमों और अंतर-जातीय तनाव समाप्त करने में समाज के सभी वगो’ को जोडने के बारे में भी बैठक में चर्चा की जाएगी। एनआईसी की कल की बैठक दो साल बाद हो रही है। इससे पहले 10 सितंबर 2011 को एनआईसी की बैठक हुई थी, जिसमें सांप्रदायिक सद्भाव, सांप्रदायिकता को रोकने के उपायों, सांप्रदायिक हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा विधेयक को लेकर चर्चा की गयी थी।

एनआईसी का गठन 1960 के दशक की शुरूआत में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था। एनआईसी की पहली बैठक 1962 में हुई थी। सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक एनआईसी के उद्देश्यों में अनेकता में एकता, धमो’ की स्वतंत्रता, धर्म निरपेक्षता, समानता, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय और सभी समुदायों के बीच भाईचारा कायम करना शामिल है।

पिछले कुछ वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढोतरी से एनआईसी चिन्तित है। परिषद का मानना है कि सांप्रदायिक एवं अलगाववादी संघषो’ की छिटपुट घटनाओं के बावजूद आम आदमी और महिलाओं की बहुसंख्यक आबादी, चाहे वे किसी भी धर्म से जुडे हों, शांति और सद्भाव से रहती है और उसकी हिंसा एवं अव्यवस्था में कोई दिलचस्पी नहीं है।

एनआईसी का यह भी मानना है कि ये लक्ष्य हासिल करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह हर नागरिक, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, कलाकार, लेखक, शिक्षक, माता-पिता और छात्रों, बुद्धिजीवियों, व्यवसायियों और ट्रेड यूनियन नेताओं की सामूहिक जिम्मेदारी है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 22, 2013, 15:23

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