Last Updated: Thursday, August 22, 2013, 18:38

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में हुए विस्फोट मामले में ‘तोड़फोड़’ की संभावना से इंकार नहीं करते हुए रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने गुरुवार को माना कि इस घटना ने देश के समुद्री हितों की रक्षा करने की क्षमता पर प्रभाव डाला है।
मुंबई में 14 अगस्त को हुए इस हादसे के बारे में राज्यसभा में स्पष्टीकरण देते हुए एंटनी ने कहा कि हादसे के बाद डूबी पनडुब्बी में रखे गये हथियारों की स्थिति का आकलन करने के लिए नौसेना ने आदेश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘नौसेना ने बोर्ड आफ इंक्वायरी का आदेश दिया है और इसे पूरी गंभीरता के साथ शुरू किया गया। इस जांच में घटना के सभी पहलुओं पर गौर किया जायेगा। किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। बीओआई सभी संभावित पहलुओं पर गौर करेगी।’ भाजपा के चंदन मित्रा एवं सपा के नरेश अग्रवाल ने रक्षा मंत्री से जानना चाहा कि क्या स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर हुई इस घटना के पीछे तोड़फोड़ एक कारण हो सकता है।
इस पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘हम घटना के वास्तविक कारण के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते। हमारे सैन्य बल इन पहलुओं पर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं और वे भी इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं।’ एंटनी ने कहा कि जब हादसा हुआ तब पनडुब्बी पर 18 नौसेना कर्मी सवार थे। इनमें से कल तक 8 के शव मिले हैं जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए नौसेना के अस्पताल भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इन 8 शवों के मृत्यु प्रमाणपत्र में जलने को मौत का कारण बताया गया है।
रक्षामंत्री ने कहा कि पांच अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कंपनियां पनडुब्बी को निकालने के लिए इसका सर्वे कर रही हैं। पनडुब्बी में भरा पानी निकालने के बाद इसे बाहर लाया जाएगा और जांच कार्य में रूसी विशेषज्ञों का दल भी शामिल होगा। एंटनी ने कहा कि हादसे और पनडुब्बी के डूबने की घटना का तटीय क्षेत्र और नौवहन क्षेत्र में खासकर हिंद महासागर में और उसके आगे उभरते सुरक्षा परिदृश्य में सुरक्षा हितों पर असर हुआ है।
उन्होंने कहा कि नौसेना के गोताखोरों को जेटी के समीप धातुएं और आंशिक रूप से जली पीले रंग की सामग्री मिली है। उन्होंने यह सामान सौंप दिया है और नौसेना के शस्त्र निरीक्षक इसकी जांच कर रहे हैं।
पनडुब्बी पर तैनात हथियारों की स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री ने बताया कि एक दल गठित किया गया है जिसमें नौसना शस्त्रागार के प्रमुख और मिसाइल बेस के कमांडिंग अधिकारी शामिल हैं। इस टीम से पनडुब्बी पर तैनात हथियारों की स्थिति का आकलन करने, पनडुब्बी को बाहर निकालने के अभियान के दौरान आसन्न खतरे के स्तर का आकलन करने के लिए व्यापक अध्ययन करने को कहा गया है। ‘आशंका है कि इसमें और विस्फोट हो सकते हैं इसलिए हम यह स्पष्ट कर लेना चाहते हैं।’ एंटनी ने कहा कि पनडुब्बी के तारपीडो कंपार्टमेंट से पानी के नमूने लेकर उनका पुणे स्थित प्रयोगशाला में विश्लेषण किया जा रहा है और इन नमूनों में टीएनटी की मौजूदगी का कोई संकेत नहीं मिला है। प्रयोगशाला में पीले रंग की आंशिक रूप से जली सामग्री का भी विश्लेषण किया जा रहा है।
एंटनी ने सदस्यों के स्पष्टीकरण के जवाब में कहा कि रूस में ‘रीफिट’ की गई यह पनडुब्बी सर्वाधिक आधुनिक थी और इसमें बड़ी राशि खर्च हुई थी। उन्होंने कहा ‘मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं कि हम इस पनडुब्बी को यथाशीघ्र बाहर निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। नौसेना पनडुब्बी को यथाशीघ्र बाहर निकालने तथा हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके बाद हम पनडुब्बी के विभिन्न हिस्सों का अध्ययन करेंगे।’ एंटनी ने स्पष्ट किया कि नौसेना और सैन्यबलों में युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बीमे की कोई व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने कहा कि नौसेना के गोताखोर हथियारों की स्थिति का पता लगाने और यह देखने के लिए गोताखोरी अभियान लगातार चला रहे हैं कि पनडुब्बी में पानी कहां कहां से भरा है। पनडुब्बी हादसे को लेकर रक्षा मंत्री से भाजपा के रविशंकर प्रसाद, वी पी सिंह बडनौर, चंदन मित्रा और तरूण विजय, कांग्रेस के लक्ष्मण शांताराम नाइक, माकपा के प्रशांत चटर्जी, द्रमुक के के पी रामलिंगम, सपा के नरेश अग्रवाल और शिवसेना के भरत कुमार राउत ने स्पष्टीकरण पूछे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 22, 2013, 18:38