सिनेमा को सामाजिक बदलाव लाना चाहिए: प्रणब मुखर्जी

सिनेमा को सामाजिक बदलाव लाना चाहिए: प्रणब मुखर्जी

चेन्नई : हाल के सांप्रदायिक दंगे तथा महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध पर चिंता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को सिनेमा उद्योग से सामाजिक बदलाव लाने में योगदान करने वाली और सकारात्मक मूल्यों को प्रदर्शित करने वाली फिल्में बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने यहां भारतीय सिनेमा के सौ साल पर एक कार्यक्रम में कहा कि संचार के लोकप्रिय और सशक्त माध्यम सिनेमा को मनोरंजन और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाना चाहिए।

इस कार्यक्रम का आयोजन तमिलनाडु सरकार एवं दक्षिण भारतीय फिल्म वाणिज्य मंडल ने मिलकर किया है।

देश के कुछ हिस्सों में हाल में हुए महिलाओं के खिलाफ अपराध एवं सांप्रदायिक दंगे का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हाल की घटनाओं ने राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। हमने देश के कुछ हिस्सों में दुखद सांप्रदायिक दंगे भी देखे हैं। हमें अपने मूल्यों के क्षरण की दिशा पलटने के तौर तरीके ढूंढने चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि सिनेमा उद्योग से जु़ड़े हर शख्स की यह जिम्मेदारी है कि वह इस सशक्त माध्यम का इस्तेमाल कर सहिष्णु एवं सद्भावपूर्ण भारत के निर्माण के लिए सकारात्मक सामाजिक मूल्यों को प्रदर्शित करे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, September 24, 2013, 22:38

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