Last Updated: Tuesday, November 20, 2012, 22:07

नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन शुरू होने से दो दिन पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी का इस्तीफा मांग कर बड़ा धमाका किया और पार्टी ने इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए उनसे इस मांग को वापस लेने को कहा।
गडकरी की कंपनी पूर्ती समूह में संदेहास्पद निवेश के आरोपों के चलते उनके अध्यक्ष पद से नहीं हटने पर सीधा प्रहार करते हुए सिन्हा ने मंगलवार को कहा कि ऐसा करके ‘हमने उन लोगों को गहरी निराशा दी है जो लोग कांग्रेस पार्टी के भंयकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए हमारी ओर देख रहे थे। हमारी पार्टी के अध्यक्ष दोषी हैं या नहीं, आज यह मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि हम सब जो सार्वजनिक जीवन में हैं वे दोष लगाए जाने से उपर होने चाहिए।’
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के इस चरण में भाजपा की विश्वसनीयता संदेह से परे होनी चाहिए।
उन्होंने कहा,‘भारत की जनता के प्रति भाजपा के ऐतिहासिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए मैं पूरी विनम्रता से नितिन गडकरी से आग्रह करता हूं कि वह तुरंत पार्टी अध्यक्ष पद से हट जाएं।’ सिन्हा से पहले पार्टी के राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी भी सार्वजनिक तौर पर गडकरी के इस्तीफे की मांग कर चुके हैं।
उधर, भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने सिन्हा से अपील की कि वह गडकरी का इस्तीफा मांगने की अपनी मांग पर पुनर्विचार करे क्योंकि सार्वजनिक तौर ऐसा किया जाना सर्वथा अनुचित है।
सिन्हा के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की संभावना पर पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओ पी कोहली ने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि उनके खिलाफ किसी कार्रवाई की पहल भाजपा संसदीय बोर्ड ही कर सकता है।
सिन्हा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति द्वारा गडकरी को क्लीन चिट दिए जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘हमें भारत की जनता को उम्मीदों को तोड़ने का कोई अधिकार नहीं है। स्वयं ही प्रमाणपत्र देने का तरीका अपना कर हमने कुछ ऐसा ही किया है।’
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से दो दिन पहले गडकरी का इस्तीफा मांगने के सिन्हा के बयान से भाजपा भी परेशानी में घिर गई है। पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि इससे संसद में सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा, कोयला आवंटन और भ्रष्टाचार के अन्य मुद्दों पर कांग्रेस को घेरने की उसकी रणनीति कमजोर पड़ेगी। इससे कांग्रेस को उल्टे भाजपा पर पलटवार करने का अच्छा मौका मिल गया है।
सिन्हा ने कहा कि वह पार्टी में उपलब्ध सभी मंचों का प्रयोग कर लेने के बाद यह बयान अत्यधिक दुख और खेद के साथ दे रहे हैं। उन्होंने कहा, दुर्भाग्यवश, अपने सभी प्रयासों के बावजूद पार्टी इस बारे में कोई फैसला नहीं कर सकी। पूर्व में भी, राज्यसभा चुनाव के दौरान अंशुमन मिश्र को समर्थन देने के विरुद्ध मैंने आवाज उठाई थी। पार्टी ने तब मेरी बात पर ध्यान दिया था और उम्मीद है कि इस बार भी ऐसा करेगी।’
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात में विश्वास है कि वह जो बात उठा रहे है उसमें दम है और ‘मेरा यकीन है कि पार्टी इस मुद्दे से निपटने में सफल होगी।’ उन्होंने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे पार्टी के नेताओं ने आचरण के उच्च मानदंड का अनुसरण हर हाल में करना चाहिए। भाजपा अपने को इस अवसर के योग्य साबित करे और देश को बचाए। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 20, 2012, 16:46