Last Updated: Thursday, August 1, 2013, 22:56
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : केंद्र की यूपीए सरकार ने गुरुवार को एक अतिमहत्वपूर्ण फैसला करते हुए राजनीतिक दलों को आरटीआई कानून के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान करने वाले एक संशोधन विधेयक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आरटीआई संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी । इस मुद्दे पर एक मसौदा नोट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने तैयार किया था।
केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने पिछले महीने कहा था कि छह राष्ट्रीय दलों कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, बसपा और राकांपा को केन्द्र सरकार की ओर से परोक्ष रूप से काफी वित्तपोषण मिलता है इसलिए उन्हें जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए क्योंकि आरटीआई कानून के तहत उनका स्वरूप सार्वजनिक इकाई का है।
सीआईसी ने इन राजनीतिक दलों को जन सूचना अधिकारी और अपीली अधिकारी की नियुक्ति के लिए छह सप्ताह का समय दिया था। सीआईसी के इस फैसले पर राजनीतिक दलों विशेषकर कांग्रेस में कडी प्रतिक्रिया हुई। आरटीआई कानून लाने का श्रेय पाने वाली कांग्रेस ने ही सीआईसी के इस फैसले का विरोध किया।
छह राजनीतिक दलों में से केवल भाकपा ने सीआईसी के आदेश का समय पर पालन किया और एक आरटीआई सवाल का जवाब भी दिया। सूत्रों ने कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए सार्वजनिक इकाइयों की परिभाषा बदलना चाहती है ताकि सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे से बाहर रखा जा सके। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार को इस संबंध में संसद के मानसून सत्र में विधेयक पेश करना होगा।
First Published: Thursday, August 1, 2013, 19:33