Last Updated: Tuesday, September 25, 2012, 00:08

नई दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग से सोमवार को संदर्भ प्राप्त करने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ‘कोलगेट’ की जांच का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है। जांच एजेंसी ने साल 1993 से हुए कोयले के ब्लॉकों के सभी आवंटनों की जांच करने का फैसला किया है। सीबीआई जिन मामलों की जांच करेगी उनमें राजग शासनकाल के दौरान आवंटित कोयले के ब्लॉकों के मामले भी होंगे ।
पिछले हफ्ते कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखकर मांग की थी कि साल 1993 से आवंटित कोयले के सभी ब्लॉकों के मामलों की सीबीआई जांच कराई जाए। गौरतलब है कि सरकार ने 1993 से ही निजी क्षेत्र को कोयले के ब्लॉकों का आवंटन शुरू किया था।
सीबीआई जांच की मांग करते हुए जायसवाल ने हाल में सात सांसदों की ओर से लिखे गए पत्र को भी सीवीसी के पास यह कहते हुए भेजा था कि 1993 से 2004 के बीच उन आवंटनों की भी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए जो राजग शासनकाल के दौरान हुए थे।
सांसदों के पत्र में भारत सरकार की ओर से तय उस व्यवस्था की भी जांच की मांग की गई जिसके तहत 1993 से 2004 के बीच कोयले के ब्लॉकों के आवंटन के लिए कंपनियों का चयन किया गया। पत्र में इस बात की भी जांच करने को कहा गया कि क्या सरकार की ओर से तय की गई व्यवस्था का पालन किया गया और संयुक्त उपक्रमों के साझेदारों को किस तरह से चुना गया।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि सीवीसी ने शिकायतों को आज सीबीआई को भेज दिया ताकि वह मामले की जांच कर सके। जांच एजेंसी जल्द ही मामले की जांच शुरू करेगी।
कोयले के ब्लॉकों का आवंटन निजी क्षेत्र को किए जाने का काम 1993 में उस वक्त शुरू किया गया जब कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1973 में संशोधन इस मकसद से किया गया कि बिजली, सीमेंट और इस्पात के क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की ओर से किया जाने वाला निवेश बढ़ाया जाए।
सीबीआई ने अब तक की जांच में निजी कंपनियों एवं अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज की है। उन पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किए जाने का आरोप है। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 24, 2012, 18:34