Last Updated: Wednesday, July 10, 2013, 23:13
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करे, जिसमें सहायक दस्तावेज पेश करते हुए यह भी बताया जाए कि 164 कोल ब्लॉकों के आवंटन में कौन सी प्रक्रिया और पद्धति अपनाई गई। कोल ब्लॉक आवंटन की चल रही जांच पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा स्थिति रपट दाखिल करने के बाद न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि 204 कोयला ब्लॉकों के आवंटन से जुड़े दस्तावेज मुहैया नहीं किए जाने के चलते सीबीआई अपनी जांच में कड़ी मशक्कत कर रही है। इनमें से 40 का आवंटन रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई ने हाल ही में एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट बंद लिफाफे में सौंपी थी।
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि कोल ब्लॉक के आवंटन में पारदर्शिता का अभाव है और कंपनियों के आवेदन का सत्यापन करने के लिए कोई प्रणाली नहीं है तथा स्क्रीनिंग कमेटी का
कामकाज अधूरा प्रतीत होता है। न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, ‘हर चीज के बारे में कोई रिकार्ड नहीं है। सीबीआई के पास कोई दस्तावेज नहीं है जिसके कारण वह संघर्ष कर रही है।’ माफ कीजिएगा, मुझे यह कहना पड़ रहा है कि भारत सरकार के पास कोई मूल दस्तावेज नहीं है। उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन की जांच रिपोर्ट में कई कमियां हैं।
पीठ ने अटार्नी जनरल जीई वाहनवती से अपने दो सवालों का जवाब देने को कहा। ‘अदालत की निगरानी के बारे में या अदालत निर्देशित जांच के लिए सरकार की मंजूरी आखिर क्यों जरूरी है।’ सीबीआई में कामकाजी स्वयत्तता लाने और इसे बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त करने के सिलसिले में दाखिल केंद्र के हलफनामे को भी पीठ ने देखा है। पीठ ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस गठन (डीएसपीई) अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में कुछ वक्त लगेगा।
हालांकि पीठ ने कहा कि उसने जांच एजेंसी को केंद्र के प्रस्ताव पर 16 जुलाई तक जवाब देने को कहा है। न्यायालय ने यह भी कहा कि हम सीबीआई को जांच रिपोर्ट की सामग्री राजनीतिक पदाधिकारियों के साथ
साझा करने की इजाजत नहीं दे सकते। पीठ ने केंद्र से 164 कोल ब्लॉकों के आवंटन को उचित ठहराने वाला एक विस्तृत हलफनामा चार हफ्ते के अंदर दाखिल करने को कहा। पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ भी हैं।
न्यायालय ने केंद्र से स्क्रीनिंग कमिटी की 36 बैठकों की कार्रवाई के सारांश, रिकार्ड और सारे दस्तावेज अपने समक्ष पेश करने को कहा। पीठ ने कहा कि यदि आपने ऐसा नहीं किया है तो आप यह अवश्य करिए। अन्यथा पूरी कवायद बेकार हो जाएगी। सवाल यह है कि सही फैसले लिए गए या नहीं। न्यायालय ने यह भी कह दिया कि वह यह सुनना पसंद नहीं करेगी कि वे दस्तावेज नष्ट हो गए हैं।
First Published: Wednesday, July 10, 2013, 20:35