Last Updated: Monday, November 5, 2012, 22:38

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने आज कहा कि राबर्ट वड्रा के साथ सौदे के बाद डीएलएफ की तीन एकड़ से अधिक जमीन की बिक्री उनके द्वारा रद्द किये जाने के बाद समिति बनाने की कोई जरूरत नहीं थी। वड्रा-डीएलएफ सौदों में अनियमितताओं का आरोप लगाकर तीन सप्ताह पहले राजनीतिक भूचाल खड़ा करने वाले खेमका ने यह भी कहा कि उन्हें दी गयी सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है और वह उन्हें मिली धमकियों के मामले में निष्पक्ष और तेज जांच चाहते हैं।
1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका ने यहां मुख्य सचिव पी के चौधरी से मुलाकात की। चौधरी ने उन्हें धमकी वाले फोन कॉल के मद्देनजर मिलने के लिए बुलाया था। चौधरी राज्य आईएएस अधिकारी संघ के अध्यक्ष भी हैं। उनसे मुलाकात के बाद खेमका ने संवाददाताओं से कहा कि यह विशेषाधिकार के अंतर्गत आने वाली बातचीत है और ऐसा कुछ नहीं है जो मैं मीडिया के सामने सार्वजनिक कर सकूं।
मीडियाकर्मियों ने खेमका से अनेक सवाल किये जिनमें पिछले हफ्ते धमकी देने के मामले में गिरफ्तार किये गये एक शख्स के बारे में भी उनसे प्रश्न पूछा गया। जब खेमका से पूछा गया कि समिति के गठन के बाद क्या राबर्ट वड्रा-डीएलएफ जमीन सौदों में कथित अनियमितताओं के मामले में जांच सही दिशा में बढ़ रही है तो उन्होंने कहा, मुझे (समिति बनाने के संबंध में) कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ना तो उन्होंने मुझे बताया और ना ही मुझे उनके द्वारा की जा रही जांच की जानकारी है।
तबादला कर दूसरे विभाग में भेजे गये खेमका ने कहा कि उन्हें लगता है कि समिति बनाने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा, अगर किसी को मेरे आदेशों से शिकायत है तो सही न्यायक्षेत्र उच्च न्यायालय के अधीन है। खेमका ने कहा, सरकार, राबर्ट वड्रा, डीएलएफ या अन्य कोई प्रभावित विभाग मसलन शहर और ग्राम योजना या अन्य केाई दफ्तर उच्च न्यायालय में गुहार लगा सकता है। उन्होंने कहा, यह कानून के मुताबिक उचित प्रक्रिया है। लेकिन अगर आप इसमें भरोसा नहीं करते और कोई अन्य समिति बनाते हैं तो यह संकेत देता है कि आपको संविधान में भरोसा नहीं है। यह बहुत अफसोस की बात है। खेमका द्वारा जमीन सौदा निरस्त किये जाने के बाद हरियाणा सरकार ने मामले में 16 अक्तूबर को जांच का आदेश दिया था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली जांच समिति में राज्य सरकार के दो वरिष्ठ सदस्य भी हैं और समिति को एक महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है। वड्रा को चार उपायुक्तों द्वारा क्लीन चिट दिये जाने के संदर्भ में खेमका ने कहा कि कम से कम अपनी (सरकार की) समिति को तो काम करने दें। उन्होंने कहा, मेरा कहना है कि आप अपनी ही समिति के फैसले को पहले ही तय करने की कोशिश उन्हें यह बताकर कर रहे हैं कि सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके (वड्रा को क्लीन चिट देने के लिए) क्या फैसला किया है। हरियाणा सरकार की ओर से 26 अक्तूबर को जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल और मेवात के उपायुक्तों ने एक जनवरी, 2005 से लेकर अब तक राबर्ट वड्रा द्वारा या उनकी ओर से या उनकी कंपनियों की ओर से संबंधित जिले में दर्ज सभी दस्तावेजों का निरीक्षण किया है और प्रमाणित किया गया है कि कोई भी सौदा कम कीमत का नहीं था।
पंचकुला में खेमका के दफ्तर में हाल ही में धमकी भरे फोन करने के आरोप में गिरफ्तार किये गये शख्स के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह इस बारे में पुलिस को बयान दे चुके हैं। कथित तौर पर खेमका को फोन कर धमकी देने वाले को पंचकुला पुलिस ने गुड़गांव से गिरफ्तार किया था। खेमका ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें एक पखवाड़े में दो धमकी भरे फोन आये हैं।
पिछले हफ्ते मामले में गिरफ्तार किये गये उमैद सिंह हरियाणा आवासीय बोर्ड के कर्मचारी हैं और खेमका ने उन्हें 2006 में बख्रास्त कर दिया था जिस समय वह बोर्ड प्रशासक थे। क्या खेमका सुरक्षा की जरूरत समझते हैं तो उन्होंने आज कहा, मैं बहुत स्पष्ट कह चुका हूं कि सुरक्षा का मामला मन:स्थिति का है। मुझे सुरक्षा साजो-सामान की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिया इतनी खतरनाक चीजें कवर करता है। जब उसे सुरक्षा की जरूरत नहीं है तो मेरे लिए विशेष सुरक्षा की क्या जरूरत है। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 5, 2012, 19:22