Last Updated: Thursday, June 28, 2012, 16:43

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
अटारी (पंजाब) : जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में 30 साल तक कैद रहे सुरजीत सिंह आखिरकार गुरुवार को स्वदेश वापस लौट आए। वाघा बॉर्डर पर देश की सीमा में प्रवेश करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरबजीत सिंह भी पाक के जेल में अच्छे से हैं। हालांकि उन्होंने मेरे साथ कोई संदेश नहीं भेजा है। यह मेरे ऊपर छोड़ दीजिए, मैं उन्हें रिहा कराऊंगा। उनकी रिहाई के लिए मैं अब संघर्ष करूंगा।
पत्रकारों ने उनसे और सवाल पूछने की कोशिश की, जिस पर सुरजीत ने कहा कि कृपया और सवाल न करें। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी जेलों में भारतीय कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार होता है। गौर हो कि भारतीय कैदी सरबजीत सिंह भी सुरजीत के साथ कोट लखपत जेल में ही बंद थे। वह भी पंजाब के रहने वाले हैं और शुरू में उन्हीं की रिहाई की बात हुई थी, लेकिन बाद में पाकिस्तान पलट गया।
सुरजीत ने कहा कि मैं 30 साल बाद वापस लौटकर बहुत खुश हूं और अपने बच्चों व परिवार से मिल रहा हूं। सफेद कुर्ता-पायजामा पहने और काले रंग की पगड़ी लगाए सुरजीत के साथ दो बैग थे। वह पुलिस की गाड़ी से वाघा पहुंचे। जब वह गाड़ी से उतरे तो उनके हाथों में हथकड़ी थी। वह मुस्कुरा रहे थे और उन्होंने अपने वकील को गले लगाया। एक बार सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद वह सीमा पार कर अटारी में आ गए और अपने परिवार व दोस्तों से मिले।
अपने देश में आने के बाद सीमा पर सुरजीत के परिवार, दोस्तों व समर्थकों ने भावनाओं से ओत-प्रोत हो उनका स्वागत किया। जासूसी के आरोप में 80 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान में गिरफ्तार किए गए 69 वर्षीय सुरजीत की गुरुवार तड़के लाहौर की कोट लखपत जेल से रिहाई हो गई थी। वह भारतीय सीमा में प्रवेश से पहले सड़क मार्ग के जरिए पाकिस्तान की वाघा सीमा में पहुंचे।
जब सुरजीत भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अपने देश में प्रवेश कर रहे थे तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी और वह अपने परिजनों, दोस्तों व समर्थकों की ओर हाथ हिला रहे थे। फिरोजपुर जिले के फिड्डे में पारिवारिक सदस्यों व ग्रामीणों ने सुरजीत को फूलों की माला पहनाकर और उन्हें गले लगाकर उनका स्वागत किया।
सुरजीत के 1982 में फिरोजपुर सेक्टर में सीमा के नजदीक से गायब हो जाने के बाद से उनके परिवार ने उन्हें दोबारा देखने की उम्मीद छोड़ दी थी और उन्हें मृत मान लिया था।
First Published: Thursday, June 28, 2012, 16:43