Last Updated: Sunday, April 29, 2012, 08:41
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने सांसदों से कहा है कि उन्हें सामाजिक व्यवहार में आए बदलाव को ध्यान में रखते हुए यौन संबंध के लिए उपयुक्त आयु से जुड़े मौजूदा कानून पर विचार करना चाहिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लौ ने कहा, ‘यह वक्त है कि सांसद सामाजिक व्यवहार और सामाजिक संवेदनाओं को देखते हुए आयु को लेकर सहमति-सुरक्षा से जुड़ी मंजूरी देने संबंधी मौजूदा कानून पर विचार करें।’ अदालत की ओर से यह टिप्पणी एक लड़की के कथित अपहरण के मामले में युवक को बरी करते हुए की गई। इस युवक पर आरोप लगाया गया था कि जबरन शादी करने के लिए उसने लड़की का अपहरण किया था।
स्थानीय अदालत ने कहा कि आरोपी युवक और लड़की के बीच प्रेम संबंध था तथा परिवार वालों के विरोध के कारण उन्हें भागना पड़ा। परिवार वाले नहीं चाहते थे कि दोनों शादी करके खुशहाल जिंदगी बसर करें।
अदालत ने कहा, ‘प्रेम कर रहे नौजवानों को दंडित करने के लिए हमारे देश के कानून तंत्र का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और यह अदालत भी उस स्थिति में इनकी जिंदगी को बर्बाद नहीं कर सकतीं, जब खासकर उनके बीच उम्र का फासला स्वीकार्य सीमा तक है और कोई जोर-जबरदस्ती वाली स्थिति भी नजर नहीं आती।’
अदालत ने कहा, ‘इस मामले को यहीं विराम देना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इन नौजवानों का भविष्य उनके अतीत को उजागर करके बर्बाद नहीं किया जा सकता।’ अदालत ने अशोक विहार के निवासी कृष्ण राय चौधरी को बरी कर दिया। उस पर 20 अक्तूबर, 2008 को लड़की को जबरन शादी करने की मंशा से अगवा करने का आरोप लगाया गया था।
सुनवाई के दौरान लड़की की मां और उसने कहा कि इस घटना के कुछ महीने बाद ही उसकी उम्र शादी के लिए कानूनी तौर पर वाजिब उम्र हो गई थी और फिर बिहार के एक लड़के से शादी हो गई। दोनों ने कहा कि ऐसी स्थिति में उन्हें अदालत में तलब नहीं किया जाए क्योंकि इससे उसकी शादीशुदा जिंदगी प्रभावित हो सकती है। दस्तावेजी जांच के बाद पता चला कि घटना के वक्त लड़की की उम्र 18-19 साल की थी और आरोपी युवक के खिलाफ कुछ नहीं मिला। ऐसी स्थिति में उसे बरी कर दिया गया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 29, 2012, 18:44