`हज यात्रा के लिए विवेकाधीन कोटा में कटौती`

`हज यात्रा के लिए विवेकाधीन कोटा में कटौती`

`हज यात्रा के लिए विवेकाधीन कोटा में कटौती`नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने हज यात्रा के लिये सरकार के विवेकाधीन कोटे में जबर्दस्त कटौती की है। न्यायालय ने विवेकाधीन कोटे के तहत हज यात्रियों को आवंटित होने वाली सीटों की संख्या तीन सौ तक सीमित कर दी है जबकि सरकार विवेकाधीन कोटे से 5050 सीटें आवंटित करना चाहती थी।

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना देसाई की खंडपीठ ने सरकार के विवेकाधीन कोटे के तहत सीटों की संख्या तीन सौ तक सीमित करने के साथ ही कहा कि इसके अंतर्गत राष्ट्रपति एक सौ, उप राष्ट्रपति 75, प्रधानमंत्री 75 और विदेश मंत्रालय 50 व्यक्तियों को सीट दे सकेंगे।

न्यायाधीशों ने कहा कि भारत की हज कमेटी के लिए दो सौ सीटें आरक्षित होंगी। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि गणमान्य व्यक्तियों और हज कमेटी के कोटे के तहत आरक्षित सीटों के बाद शेष बची सीटें विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की हज कमेटी के पास चली जायेंगी। इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया कि 2012 के हज के लिए सरकार के कोटा के तहत 11 हजार सीटें आरक्षित हैं।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि हज 2012 के हज यात्रियों के पंजीकरण को लेकर दायर होने वाली किसी भी याचिका पर कोई भी उच्च न्यायालय विचार नहीं करेगा। न्यायालय ने कहा है कि यदि हज पर जाने वाला कोई व्यक्ति या कोई निजी ट्रर आपरेटर उच्च न्यायालय में याचिका दायर करता है तो उसे तुरंत शीर्ष अदालत में स्थानांतरित कर दिया जायेगा।

इससे पहले, न्यायाधीशों ने आठ मई के निर्देशानुसार न्यायालय में दाखिल सरकार के हलफनामे का अवलोकन किया। न्यायालय ने आठ मई को सरकार से विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों की सिफारिश पर आवेदकों को कोटा आवंटित किये जाने का विवरण मांगा था।

न्यायाधीशों ने कहा था कि गणमान्य या प्रबुद्ध व्यक्तियों की सिफारिश पर सीटों के आबंटन की प्रक्रिया पर उनकी अलग राय है। न्यायालय ने सरकार से कहा था कि दस साल के भीतर हज पर दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त की जाये और इस रकम का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय के शैक्षणिक और सामाजिक विकास के कल्याणकारी कार्यो में किया जाये। (एजेंसी)

First Published: Monday, July 23, 2012, 16:00

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