Last Updated: Tuesday, October 23, 2012, 17:16

ज़ी न्यूज ब्यूरो
चंडीगढ़ : वाड्रा-डीएलएफ प्रकरण में जांच आदेश देने के बाद स्थानान्तरित किए गए आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अब हरियाणा सरकार के खिलाफ जुबानी जंग तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि उनके आदेश की पड़ताल के लिए किसी जांच निकाय को गठित करने का राज्य सरकार के पास कोई अथॉरिटी (अधिकार) नहीं है। गौर हो कि खेमका ने कुछ दिनों पहले सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के मानेसर में जमीन की म्यूटेशन रद्द करने के आदेश दिए थे।
खेमका ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्याय अधिकार क्षेत्र में हरियाणा सरकार अतिक्रमण करने की कोशिश कर रही है। खेमका ने यह भी कहा कि चकबंदी के महानिदेशक की ओर से दिए गए आदेश की जांच करने के लिए आईएएस अधिकारी अधिकृत नहीं थे। वाड्रा जमीन सौदों में जांच आदेश जारी करते समय खेमका चकबंदी महानिदेशक थे। इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया।
खेमका ने कहा कि वह राज्य सरकार पर निशाना नहीं साध रहे हैं बल्कि वह भ्रष्टाचार को इंगित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप जड़ा कि हरियाणा सरकार में कोई इस मामले (जमीन सौदों) को दबाने और वाड्रा को बचाने की कोशिश कर रहा है। सरकार में शामिल कोई तत्व इस मामले में हस्तक्षेप कर कमिटी गठित कर जांच की शक्ल दे रहा है।
गौर हो कि इससे पहले, रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन करार को रद्द किए जाने के आदेश पर अब हरियाणा के दो वरिष्ठ अधिकारियों में ठन गई थी। साढ़े तीन एकड़ जमीन के इस करार के दाखिल-खारिज को रद्द करने का आदेश जारी करने वाले खेमका ने अपने आदेश को सही ठहराया और कहा कि इस आदेश से पीड़ित महसूस करने की सूरत में कोई भी पक्ष :सरकार या इस करार के दोनों पक्ष उच्च न्यायालय की शरण ले सकते हैं।
First Published: Tuesday, October 23, 2012, 17:16