हाईकोर्ट विस्फोट: युद्ध छेड़ने के गंभीर आरोप से बचा आरोपी मलिक

हाईकोर्ट विस्फोट: युद्ध छेड़ने के गंभीर आरोप से बचा आरोपी मलिक

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने यहां उच्च न्यायालय परिसर में पिछले साल हुए आतंकी हमले में कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार वसीम अकरम मलिक के खिलाफ अभियोग निर्धारित करने का आदेश दिया। हालांकि अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के इस अनुरोध को खारिज कर दिया कि मलिक पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध के तहत अभियोग चलाया जाए।

अदालत ने एनआईए की इस याचिका को स्वीकार नहीं किया कि मलिक के खिलाफ देश के विरूद्ध युद्ध छेड़ने का आरोप तय किया जाए। अदालत ने कहा कि मलिक के खिलाफ सिर्फ इसलिए ऐसा नहीं किया जा सकता कि विस्फोट के बाद संसद हमला मामले के दोषी अफजल गुरू की रिहाई के संदर्भ में एक ईमेल भेजा गया।

अदालत ने कहा कि इस ईमेल का यह मतलब नहीं कि देश के खिलाफ अपराध किया गया।

जिला न्यायाधीश एच एस शर्मा ने कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ जो कुछ उपलब्ध है, इस अपराध के लिए उससे ज्यादा की जरूरत होती है। केवल इसलिए कि एक बम दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर फटा और ईमेल में अफजल गुरू की रिहाई का संदर्भ है, इसका यह मतलब नहीं कि ये तीन अपराध (देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने) के हो गये।

दालत ने मलिक के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 120 बी, 440, 436, 302, 307, 325 और 323 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।

अदालत ने सात सितंबर 2011 को हुए आतंकी हमले में मलिक की भूमिका को लेकर प्रथम दृष्टया सबूत मिलने के बाद विस्फोटक सामग्री कानून और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की धाराओं के तहत भी आरोप तय करने का आदेश दिया।

एनआईए ने मलिक के अलावा आमिर अब्बास देव को भी सात सितंबर 2011 को उच्च न्यायालय में हुए धमाके में कथित भूमिका के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

हालांकि देव बाद में एनआईए के लिए सरकारी गवाह बन गया था। वह इस समय न्यायिक हिरासत में है। उसने सरकारी गवाह बनने के बाद इस मामले के संबंध में मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बंद कमरे में अपना बयान दर्ज कराया था। (एजेंसी)


First Published: Tuesday, September 4, 2012, 22:12

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