Last Updated: Sunday, January 15, 2012, 18:33
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के दागी नेता बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने को लेकर गतिरोध की पृष्ठभूमि में भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने रविवार को स्वीकार किया कि उनकी पार्टी केवल 70 फीसदी शुद्ध है और प्रत्येक पार्टी को व्यावहारिक ज्ञान के लिए समझौते करने पड़ते हैं।
सिन्हा ने गत वर्ष अगस्त महीने में यह मानते हुए पार्टी से त्यागपत्र देने की चेतावनी दी थी कि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे को उतने आक्रामक तरीके से नहीं उठा रही है जैसे कि उठाना चाहिए। उन्होंने हालांकि उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने के कदम का बचाव किया जिनकी एनआरएचएम घोटाले में भूमिका की सीबीआई जांच कर रही है।
उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि कुशवाहा के पार्टी में शामिल करने से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। उन्होंने दावा किया कि गुणवत्ता और पैमाने के मामले में भाजपा अन्य पार्टियों से भिन्न है। कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने के मामले पर पार्टी के अंदर और बाहर आलोचना होने के बाद इसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
पूर्व मंत्री सिन्हा ने कहा, संसदीय लोकतंत्र में प्रत्येक पार्टी को यह (समझौता) करना पड़ता है। यह पहली बार नहीं किया गया है और निश्चित रूप से यह आखिरी बार नहीं है। उन्होंने दलील देते हुए कहा, कोई व्यक्ति या पार्टी 100 फीसदी शुद्ध होने का दावा नहीं कर सकती। लेकिन भाजपा 70 फीसद शुद्ध है जबकि अन्य केवल 20 प्रतिशत (शुद्ध) हैं। इसलिए भाजपा अभी भी अलग है।
उन्होंने यह टिप्पणी उस समय की जब उनसे यह पूछा गया कि भाजपा कुशवाहा को शामिल करने के बाद भी अलग तरह की पार्टी होने का दावा कैसे कर सकती है जिसका निर्णय भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे झामुमो नेता शिबु सोरेन के समर्थन से झारखंड में सरकार बनाने के फैसले के बाद किया गया है।
सिन्हा ने कहा, कोई भी राजनीतिक पार्टी का संचालन धार्मिक या धर्मार्थ संगठन जैसे नहीं होता। पुरानी कहावत है कि राजनीति संभव करने की कला है, प्रत्येक पार्टी को विचारधारा और व्यावहारिक ज्ञान को जोड़ना पड़ता है।
लालकृष्ण आडवाणी संबंधी एम के जिन्ना मामले सहित कई मौकों पर पार्टी के भीतर आलोचना करने वाले सिन्हा से यह पूछा गया कि वह कुशवाहा को शामिल करने पर क्यों नहीं बोले। उन्होंने कहा, मैंने ऐसे कई मुद्दों पर पार्टी के भीतर आवाज उठायी है जिन पर मैं सहमत नहीं होता लेकिन आप पूर्व के रुख को भविष्य में सभी चीजों के लिए मापदंड नहीं बना सकते।
उन्होंने कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने और झारखंड में झामुमो के समर्थन से सरकार बनाने के मुद्दों का उल्लेख करते हुए कहा, मैं इन दो मुद्दों पर पार्टी के रुख से सहमत हूं। उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनावों का उल्लेख किये जाने पर सिन्हा ने स्वीकार किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंच से गायब रहने से पार्टी पर प्रभाव होगा।
उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि वाजपेयीजी भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं। जब वह राजनीति में सक्रिय नहीं है तो इससे भाजपा पर प्रभाव होगा। लेकिन इतिहास ऐसे ही कार्य करता है। सिन्हा ने उन मीडिया सर्वेक्षणों से सहमत होने से इनकार कर दिया जिसमें उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को सपा, बसपा और कांग्रेस के बाद चौथे नम्बर पर रखा गया है। उन्होंने कहा, इसे अंकित परिणाम नहीं माना जा सकता। भाजपा उत्तर प्रदेश सहित सभी विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 16, 2012, 09:35