Last Updated: Sunday, July 14, 2013, 23:03

चेन्नई : श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन के भविष्य पर चिंता जताते हुये तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने रविवार को भारत से ‘साहसिक रुख’ अपनाने का आह्वान किया और कहा कि वह एक ‘निष्क्रिय दर्शक’ नहीं बने रह सकता। इस संशोधन में प्रांतों को कुछ अधिकार हस्तांतरित करने पर सहमति दी गई है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में जयललिता ने 27 मार्च, 2013 को राज्य विधानसभा द्वारा पारित किये गये प्रस्ताव का हवाला दिया है और एक बार फिर से केंद्र से अपनी मांग दुहराई की ‘तमिल ईलम’ पर जनमत संग्रह के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश करे।
उल्लेखनीय है कि 13वां संविधान संशोधन भारत-श्रीलंका समझौता 1987 का हिस्सा है जिसमें कोलंबो प्रांतों को कुछ अधिकार देने पर सहमत हुआ था लेकिन श्रीलंकाई सरकार संकेत दे रही है कि नयी दिल्ली की चिंताओं के बावजूद वह इसे रद्द कर सकती है।
जयललिता ने सिंह से कहा कि इस बात के ‘निराशाजनक संकेत’ हैं कि 13वें संशोधन को कमजोर करने के अतिरिक्त श्रीलंका सरकार तमिल पुनर्वास के प्रति गंभीर नहीं है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका की वर्तमान सरकार के इरादे और मकसद के बारे में ‘हमारा सबसे खराब डर’ सत्य होता प्रतीत हो रहा है। उन्होंने श्रीलंका सरकार द्वारा 13वें संशोधन की समीक्षा के लिये प्रवर समिति गठित करने का हवाला भी दिया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 14, 2013, 23:03