Last Updated: Sunday, May 13, 2012, 07:01
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने देश में एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कई दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि हर साल सरकार, मेडिकल काउंसिल और डेंटल काउंसिल को चाहिए कि वह संबद्ध अकादमिक वर्ष के लिए 15 जुलाई के बाद कोई स्वीकृति या मान्यता संबंधी आदेश जारी न करें।
उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि एमबीबीएस और बीडीएस के वर्तमान पाठ्यक्रमों की सीटें बढ़ाने या नए पाठ्यक्रम शुरू करने आदि की मंजूरी या मान्यता सरकार को हर साल, उस संबद्ध अकादमिक सत्र के लिए 15 जुलाई तक दे देना चाहिए।
न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा, हर साल 15 जुलाई के बाद सरकार, मेडिकल काउंसिल या डेंटल काउंसिल को चालू अकादमिक वर्ष के लिए कोई मान्यता या स्वीकृति 15 जुलाई के बाद जारी नहीं करनी चाहिए। अगर ऐसी कोई मंजूरी किसी भी साल 15 जुलाई के बाद जारी की जाती है तो यह उस अकादमिक वर्ष के लिए नहीं बल्कि अगले अकादमिक वर्ष के लिए मान्य होगी। न्यायाधीशों ने कहा कि इस व्यवस्था का उल्लंघन करने पर अवमानना की कार्यवाही और विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
पीठ ने दो लड़कियों आकांक्षा आदिले और प्रिया गुप्ता को चंडीगढ़ के जगदलपुर स्थित सरकारी एनएमडीसी मेडिकल कॉलेज में 30 सितंबर के बाद अकादमिक वर्ष 2006-07 के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के सिलसिले में छह अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। दोनों लड़कियों को अन्य मेधावी विद्यार्थियों के दावों तथा निर्धारित समय को नजरअंदाज करते हुए प्रवेश दिया गया।
अवमानना की कार्यवाही स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा के निदेशक और जगदलपुर कॉलेज के डीन एस एल आदिले, चयन समिति के सदस्य एम एस बंजन, पी डी अग्रवाल और पद्माकर ससाने आदि के खिलाफ की जा रही है। आकांक्षा एस एल आदिले की पुत्री है। दोनों लड़कियां एमबीबीएस के अंतिम वर्ष में हैं। यह देखते हुए पीठ ने उनके प्रवेश को उचित बताया लेकिन दोनों पर पांच पांच लाख रूपये का जुर्माना किया। पीठ के अनुसार, जगदलपुर कॉलेज के विकास के लिए इस राशि का इस्तेमाल किया जाएगा।
न्यायालय ने कहा कि मेडिकल या डेंटल कॉलेज में प्रवेश केवल संबंधित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही दिया जाना चाहिए। यह परीक्षा राज्य में संबद्ध प्राधिकारी द्वारा या निजी कॉलेज के निकाय द्वारा ली जानी चाहिए।
पीठ ने यह भी कहा कि अगर कोई सीट खाली रहती है या अखिल भारतीय कोटे से छोड़ी जाती है तो यह सीट आवंटित कर दी जानी चाहिए और प्रवेश प्रासंगिक वर्ष के 15 सितंबर तक योग्यता के आधार पर दिया जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 13, 2012, 13:31