Last Updated: Thursday, May 30, 2013, 18:53

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने 29 साल पुराने सिख विरोधी दंगे में उनके खिलाफ जांच को फिर से खोलने के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी। इस मामले में तीन लोग मारे गये थे।
टाइटलर ने सुनवाई अदालत के आदेश को चुनौती दी है। इस आदेश में सीबीआई द्वारा उन्हें क्लीन चिट देने एवं मामले को बंद करने की रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय में उनकी अपील सुनवाई के लिए कल सूचीबद्ध होने की संभावना है।
उन्होंने याचिका में कहा, ‘सुनवाई अदालत का आदेश सीआरपीसी (अपराध प्रक्रिया संहिता) की संहिता की योजना के विपरीत है। जांच एजेंसी की जांच की पद्धति एवं तरीका, पूरी तरह से एजेंसी का विशेषाधिकार होता है। अदालत एजेंसी को यह निर्देश नहीं दे सकती कि किस गवाह से जिरह की जाये।’
टाइटलर ने कहा, ‘कानून का स्थापित रूख है कि जांच का निर्देश तभी दिया जा सकता है जब प्रथम दृष्टया किसी अपराध का होना पाया जाता है अथवा किसी व्यक्ति की संलिप्तता प्रथम दृष्टया स्थापित हो जाती है। लेकिन किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं, इस बात की जांच का निर्देश कानूनी तौर पर नहीं दिया जा सकता।’’ उन्होंने अनुरोध किया है कि सुनवाई अदालत के आदेश को खारिज किया जाये।
टाइटलर ने निचली अदालत के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें सीबीआई को यह भी निर्देश गया था कि वह प्रत्यक्षदर्शियों और उन लोगों से पूछताछ करे जिन्होंेने दंगों के बारे में सूचनाएं होने का दावा किया है। सुनवाई अदालत का यह आदेश सीबीआई द्वारा टाइटलर को क्लीन चिट देने एवं मामले को बंद करने की रिपोर्ट के खिलाफ दंगा पीड़ितों के अनुरोध पर दिया है।
याचिकाकर्ता लखविन्दर कौर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने कहा था कि ऐसी सामग्री है जिसकी एजेंसी ने अनदेखी की। इसके अलावा सुनवाई अदालत के समक्ष टाइटलर के खिलाफ प्रमाण थे।
बहरहाल सीबीआई ने पीड़ितों के अनुरोध को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि जांच में यह बात स्पष्ट हो गयी है कि उत्तरी दिल्ली के गुरूद्वारा पुलबंगश में एक नवंबर 1984 को उस समय टाइटलर मौजूद नहीं थे जब दंगों में तीन लोग मारे गये थे। सिख विरोधी दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 30, 2013, 18:44