Last Updated: Wednesday, November 7, 2012, 21:03
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए आज इस कार्यवाही पर रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि इस अधिकारी को ऊंचे ओहदे पर आसीन किसी व्यक्ति के इशारे पर निशाना बनाया जा रहा है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति के एस. राधाकृष्णन की खंडपीठ ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक राजेश्वर सिंह को संरक्षण की आवश्यकता है। राजेश्वर सिंह की याचिका पर ही 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच में हस्तक्षेप के लिए सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की गयी थी।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘इस अधिकारी को निडर होकर जांच करने से रोकने के लिए ही इसके खिलाफ आरोप लगाये जा रहे हैं।’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘उसे संरक्षण दिया जाना चाहिए। वह न्यायालय के अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं और हम मामले की निगरानी कर रहे हैं। वे इसके खिलाफ कार्रवाई करके हमारे आदेश का अनादर कर रहे हैं। उम्मीद है कि उन्हें सद्बुद्धि आएगी।’ प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि राजेश्वर सिंह के खिलाफ विभिन्न मंत्रालयों में शिकायत दायर की गयी हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की गयी है। निर्देशालय ने कहा कि यही शिकायत कई सांसदों को भी भेजी गयी है।
इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि यह ऊंचे ओहदे पर बैठे किसी व्यक्ति के निर्देश पर ही किया गया है। हमें अचरज नहीं होगा यदि ऐसा कुछ हमारे साथ भी हो जाए। न्यायालय ने कहा कि यदि किसी अधिकारी के खिलाफ इस तरह की याचिका और शिकायतें दायर की जाएंगी तो वह घोटाले की जांच ही नहीं कर सकेगा। न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि इस सबकी इजाजत दी गई तो कोई भी मामले की जांच नहीं कर सकेगा। ईश्वर की राजेश्वर सिंह के प्रति कृपा है। वह अभी भी जीवित है।’ न्यायालय ने राजेश्वर सिंह के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका की सुनवाई पर भी रोक लगा दी है।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘इस बीच, उच्च न्यायालय के समक्ष पेश जनहित याचिका पर कार्यवाही पर रोक रहेगी। हम राज्य सरकार और उसके अधिकारियों को 15 सितंबर, 2012 की शिकायत या इसी तरह की किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत पर कोई तफतीश नहीं करने का भी निर्देश देते हैं।’ न्यायालय राजेश्वर सिंह की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया है कि उन्होंने जब से सहारा प्रमुख और दो पत्रकार उपेन्द्र राय तथा सहारा इंडिया न्यूज नेटवर्क के सुबोध जैन के खिलाफ इस घोटाले की जांच को प्रभावित करने के आरोप में कार्रवाई का अनुरोध किया है, तभी से उनके विरुद्ध अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं।
राजेश्वर सिंह के आरोपों का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने कहा कि उनके खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई से न्यायालय के पहले के आदेशों का उल्लंघन हुआ है। न्यायाधीशों ने कहा, ‘पहली नजर में ऐसा संकेत मिलता है कि जांच अधिकारी को प्रभावित करने के लिए राज्य के प्रशासनिक तंत्र का इस्तेमाल हो रहा है।’ न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि इस तरह के प्रयास किये जा रहे हैं ताकि निडर होकर इस मामले की जांच नहीं की जा सके।
न्यायालय ने कहा कि इस अर्जी के साथ दाखिल दस्तावेजों से पता चलता है कि सिंह को परेशान करने के निरंतर प्रयास हो रहे हैं। सिंह प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने गत वर्ष छह मई को पहली नजर में टूजी स्पेक्ट्रम मामले मं राजेश्वर सिंह की जांच में कथित हस्तक्षेप के लिए सुब्रत राय के खिलाफ स्वत: अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आधार पाते हुए उन्हें नोटिस भी जारी किया था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 21:03