2जी: जेपीसी की रिपोर्ट पर सरकार-विपक्ष आमने-सामने

2जी: जेपीसी की रिपोर्ट पर सरकार-विपक्ष आमने-सामने

2जी: जेपीसी की रिपोर्ट पर सरकार-विपक्ष आमने-सामनेनई दिल्ली/चेन्नई : 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मसौदा रिपोर्ट सदस्यों के बीच जारी होने के बाद विपक्ष ने जहां इसे `कांग्रेस का दस्तावेज` और `पूर्वाग्रह-ग्रस्त` बताया है, वहीं समिति के अध्यक्ष पीसी चाको ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट तथ्य एवं लिखित दस्तावेजों पर आधारित तथा पूरी तरह निष्पक्ष है।

इस बीच, घोटाले के लिए दोषी ठहराए गए पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने इस मामले में प्रधानमंत्री को घसीटते हुए कहा कि सभी निर्णय उनकी सलाह से लिए गए। समिति ने हालांकि अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को पूरे मामले में क्लीन चिट दी है, लेकिन राजा ने चेन्नई में कहा कि मैंने सब कुछ प्रधानमंत्री की सलाह से किया। मैं संसदीय समिति को नोट भेजूंगा। उम्मीद है कि वे मुझे लाएंगे।

समिति की मसौदा रिपोर्ट गुरुवार को इसके सदस्यों को दी गई। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए समिति की बैठक 25 अप्रैल को होने वाली है। लेकिन रिपोर्ट पहले ही मीडिया में आ गई, जिसके बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर हमले शुरू कर दिए। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि 2जी सपेक्ट्रम आवंटन पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मसौदा रिपोर्ट कांग्रेस का दस्तावेज मालूम पड़ती है। पार्टी ने रिपोर्ट मीडिया में लीक होने को `संसदीय प्रतिष्ठा का उल्लंघन` करार दिया। भाजपा के नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2जी मुद्दे पर संसदीय समिति की मसौदा रिपोर्ट का मीडिया में लीक होना संसद की प्रतिष्ठा का उल्लंघन है। मीडिया में जो कुछ भी सामने आया है, उसके आधार पर मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट नहीं, बल्कि कांग्रेस का दस्तावेज मालूम पड़ती है। उन्होंने इस मुद्दे को 22 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पुरजोर तरीके से उठाने की बात कही।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने इसे पूर्वाग्रह-ग्रस्त बताया है। पार्टी के नेता डी. राजा ने कहा कि रिपोर्ट हमें स्वीकार नहीं है। यह पूर्वाग्रह-ग्रस्त है। इसमें कुछ लोगों को बचाने और एक व्यक्ति पर सारा दोष डालने की कोशिश की गई है। वहीं, समिति के अध्यक्ष चाको ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए मसौदा रिपोर्ट को तथ्यों पर आधारित और निष्पक्ष करार दिया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि करीब डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद मैंने मसौदा रिपोर्ट तैयार की है। यह पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट नहीं है, बल्कि तथ्यों और लिखित दस्तावेजों पर आधारित है। चाको ने कहा कि 25 अप्रैल को हमारी बैठक होने वाली है, जिसमें संभवत: मसौदे को स्वीकार किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि विभिन्न दलों के मतभेदों को दूर कर लिया जाएगा।

राजा ने इससे पहले संसदीय समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें केवल लिखित में ऐसा करने की अनुमति दी गई। इस बारे में चाको ने कहा कि उन्हें अपनी बात रखने की अनुमति दी गई और उनका नोट सदस्यों को दिया गया। इसे रिकॉर्ड में रखा गया है। मैं नहीं समझता है कि फिर इस तरह का आरोप क्यों लगाया जा रहा है, जबकि राजा को समिति ने न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि लिखित में भी सुना है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने भी हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर जेपीसी के समक्ष उपस्थित होने तथा स्थिति स्पष्ट करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने उनके अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि समिति को सभी दस्तावेज मुहैया करा दिए गए हैं।

पूर्व में भाजपा के सदस्यों ने प्रधानमंत्री और चिदंबरम को भी समिति के समक्ष बुलाने की मांग को लेकर इसकी बैठकों का बहिष्कार किया था। वर्ष 2011 में इस मुद्दे पर भाजपा के विरोध के कारण संसद का शीतकालीन सत्र भी नहीं चल पाया था। यह मामला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के बाद सामने आया, जिसमें कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पहले कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम के गलत आवंटन के कारण सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ। (एजेंसी)

First Published: Friday, April 19, 2013, 19:24

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