Last Updated: Thursday, November 3, 2011, 04:04
नई दिल्ली : द्रमुक सांसद कनिमोझी और सात अन्य को झटका देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा सहित आठों की जमानत याचिकाएं यह कहकर खारिज कर दीं कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।
अदालत ने अन्य जिन लोगों की जमानत याचिका खारिज की उनमें पूर्व दूर संचार मंत्री ए राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के शाहिद उस्मान बलवा, कलैगनर टेलीविजन के प्रबंध निदेशक शरद कुमार, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल एवं बॉलीवुड के फिल्म निर्माता करीम मोरानी शामिल हैं।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के करूणानिधि की पुत्री कनिमोझी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हम किसी भी तरह से सोचें, तब भी यह नहीं कहा जा सकता कि महिला होने के नाते उनके साथ कोई भेदभाव हो रहा है।
कनिमोझी ने अपनी जमानत याचिका में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत महिला होने के नाते जमानत दिए जाने की गुहार की थी। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी कनिमोझी करूणानिधि समाज के उच्च वर्ग से ताल्लुक रखती हैं और संसद की सदस्य हैं। यह बात सोची भी नहीं जा सकती कि महिला होने के नाते उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव किया जा रहा है।
विशेष न्यायाधीश सैनी ने कनिमोई के साथ चार अन्य- शरद कुमार, मोरानी, आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी, हालांकि सीबीआई को इन्हें जमानत दिए जाने पर कोई एतराज नहीं था क्योंकि इनपर जिन आरोपों में मुकदमा चलाया जा रहा है उनमें दोषी पाए जाने पर भी अधिकतम पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।
अदालत ने सीबीआई के तर्क को यह कहकर ठुकरा दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आरोपी मुख्य आरोप पत्र के तहत आरोपी है या अनुपूरक आरोप पत्र के तहत। कानून की नजर में सिर्फ एक आरोप पत्र होता है।
अदालत ने विभिन्न आरोपियों की जमानत याचिका को इस आधार पर भी स्वीकार नहीं किया कि वह पिछले पांच से नौ माह से जेल में बंद हैं और उनका मुकदमा निकट भविष्य में समाप्त होने के आसार भी नहीं हैं।
अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की अधिक गंभीर धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत आरोप तय होने के बाद, जिसमें अधिकतम सजा के तौर पर आजीवन कारावास का प्रावधान है, आरोपियों के मामले में कोई अनुकूल परिवर्तन नहीं आता।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 4, 2011, 08:19