Last Updated: Friday, March 2, 2012, 18:33
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2जी लाइसेंस रद्द किए जाने की समीक्षा किए जाने के संबंध में कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई जिनमें एक याचिका सरकार की ओर से दायर की गई है। इस याचिका में सरकार ने नीतिगत मामलों पर शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र पर प्रश्न खड़ा किया है।
पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने भी 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों को रद्द करने के फैसले की समीक्षा की मांग की। उन्होंने कहा कि यह ‘नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत’ और ‘न्यायिक मानदंडों’ का उल्लंघन करता है और उन्हें बिना सुने हुए अभ्यारोपित किया गया। इसके साथ ही कुछ दूरसंचार कंपनियों ने भी फैसले के संबंध में समीक्षा याचिका दायर की है। समीक्षा याचिका में राजा ने दावा किया कि उनके खिलाफ फैसले के निष्कर्ष 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से जुड़े मुकदमे में उनके बचाव के बारे में पूर्वाग्रह पैदा करने वाले हैं। राजा ने कहा, ‘इस अदालत का फैसला जहां तक दूरसंचार मंत्री के तौर पर अनेक स्थानों पर उनके कृत्यों और निष्क्रियता की निंदा करता है वह निष्पक्ष व्यवहार और न्याय तथा किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने से पहले उसका पक्ष सुनने का अवसर देने के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है।’
राजा ने कहा, ‘नैसर्गिक न्याय के तहत अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ मामले पर कोई न्यायिक या अर्ध न्यायिक निकाय फैसला करता है तो उस व्यक्ति को उसका पक्ष सुनने का अवसर दिया जाना चाहिए और उसका पक्ष सुने बिना उसे दोषी ठहराने वाला फैसला अमान्य होगा। मौजूदा मामले में अदालत के फैसले में उनका पक्ष सुने बगैर उन्हें दोषी ठहराने से पहले नैसर्गिक न्याय और न्यायिक मानदंडों और निष्पक्ष व्यवहार के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया।’
दूरसंचार कंपनी सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज लिमिटेड और यूनीनार ने क्रमश: 21 और 22 लाइसेंस रद्द किए जाने के निर्णय के संबंध में समीक्षा याचिका दायर की। सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज लिमिटेड ने कहा कि उसे अनुचित तरीके से दंडित किया गया है जबकि यूनीनार ने कहा कि आदेश का लाइसेंस धारकों और हिस्सेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, March 3, 2012, 15:30