26/11की सुनवाई निष्पक्ष नहीं हुई: कसाब - Zee News हिंदी

26/11की सुनवाई निष्पक्ष नहीं हुई: कसाब



नई दिल्ली : मुंबई आतंकी हमलों के एकमात्र दोषी मोहम्मद अजमल आमीर कसाब ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सोमवार को कहा कि 26/11 मामले में उसके मामले की सुनवाई स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई है।

 

कसाब की पैरवी करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा अदालत के सहायक के तौर पर नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने न्यायाधीश आफताब आलम की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि वह भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए रची गयी व्यापक साजिश का हिस्सा नहीं था।

 

रामचंद्रन ने कहा कि यदि मैं धारा 302 ( हत्या के लिए सजा) के तहत दोषी भी हूं तो यह नहीं कहा जा सकता कि मैं युद्ध छेड़ने की व्यापक साजिश का हिस्सा था। उसने कहा कि अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ मामले को संदेहों से परे साबित करने में विफल रहा है। उसने वकील के जरिए पीठ को बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान अपना बचाव करने के लिए वकील द्वारा उसके केस की सही पैरवी नहीं की गई।

 

शीर्ष अदालत ने पिछले साल दस अक्‍टूबर को 24 वर्षीय कसाब की मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। वह 2008 के मुंबई हमले में एकमात्र जिंदा अपराधी है । कसाब द्वारा दाखिल की गयी विशेष अनुमति याचिका में बंबई हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि खुदा के नाम पर जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए किसी ‘रोबोट’ की तरह उसका ब्रेनवाश किया गया और अपनी कम उम्र को देखते हुए वह इतनी बड़ी सजा का हकदार नहीं है। कसाब मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है और उसने जेल प्रशासन के जरिए विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। उसने अपनी दोष सिद्धि और मौत की सजा को चुनौती दी थी।

 

कसाब नौ अन्य पाकिस्तानी उग्रवादियों के साथ 26 नवंबर को कराची से समुद्र के रास्ते दक्षिण मुंबई के बुधवार पार्क पहुंचा था । उसने अन्य उग्रवादियों के साथ मिलकर मुंबई के कई स्थलों को निशाना बनाया और अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें 166 लोग मारे गए तथा सैंकड़ों अन्य घायल हो गए। कसाब इस मामले में पकड़ा गया लेकिन हमले में अन्य उग्रवादी मारे गए। विशेष आतंकवाद निरोधी अदालत ने पिछले वर्ष छह मई को उसे मौत की सजा सुनायी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा था।

(एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 31, 2012, 23:57

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