26/11: आतंकियों की वार्ता को सुनेगा SC - Zee News हिंदी

26/11: आतंकियों की वार्ता को सुनेगा SC



नई दिल्ली : मुंबई में 26 नवंबर को किए गए हमलों के दौरान आतंकियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के मध्य हुई बातचीत के पकड़े गए अंश सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनाए जाएंगे। अभियोजन पक्ष ने कहा है कि आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच हुई बातचीत एक महत्वपूर्ण सबूत है जो बताती है कि यह हमले पूर्व नियोजित थे। इन हमलों के लिए एकमात्र दोषी ठहराए गए मोहम्मद अजमल आमिर कसाब की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कल दोपहर दो बजे कसाब तथा महाराष्ट्र के वकीलों की मौजूदगी में, आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के मध्य हुई बातचीत के पकड़े गए अंश सुनेगा।

 

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए पूर्व सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि न्यायालय में यह बातचीत सुनवाने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि पीठ यह बातचीत सुन सके, इसके लिए सभी प्रबंध किए जाएंगे। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने अभियोजन पक्ष के इस तर्क के बाद बातचीत सुनने का फैसला किया कि यह एक अहम सबूत है। पूर्व में अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में कहा था कि दस आतंकवादियों की पाकिस्तान में मौजूद उनके आकाओं के साथ हुई इस बातचीत से साबित होता है कि मुंबई में हुआ आतंकी हमला पूर्व नियोजित था और इसकी तैयारी भी पहले से की गई थी। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे।

न्यायालय को बताया गया कि मुंबई हमला मामले के सबूत से साफ पता चलता है कि देश की आर्थिक राजधानी पर, पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा सीमा पार बैठे अपने आकाओं के निर्देशन में किया गया यह हमला पूर्व नियोजित था। पूर्व सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि डायरी और आतंकवादियों की उनके आकाओं के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत के पकड़े गए अंशों से तीन बातें साफ हैं कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुआ हमला पूर्व नियोजित था और इसे पाकिस्तान से आए दस आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।

 

सुब्रमण्यम और निकम ने 24 वर्षीय कसाब को सुनाई गई मौत की सजा का उच्चतम न्यायालय से अनुमोदन करने का अनुरोध किया है। पूर्व सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि मुंबई पहुंचने के लिए आतंकवादियों द्वारा प्रयुक्त नौका ‘कुबेर’ से मिली डायरी से पता चला है कि आतंकवादी एक साथ आए थे और शहर में पहुंच कर वह लोग चयनित ठिकानों के लिए पांच समूहों में बंट गए थे।

 

अभियोजन पक्ष ने कहा कि जब ताज होटल में हमला किया गया तब आतंकवादियों ने अपने पाकिस्तानी आकाओं से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत के बीच में ही पकड़े गए अंशों से साफ पता चलता है कि उनके आकाओं ने उनसे (आतंकवादियों से) कहा कि उन्होंने कुबेर नौका को पानी में क्यों नहीं डुबोया? सुब्रमण्यम ने कहा कि पाकिस्तानी आकाओं ने कुबेर के संचालक अमर सिंह सोलंकी की हत्या की भी पुष्टि करनी चाही थी। सोलंकी को कसाब ने मार डाला था। डायरी से यह भी पता चलता है कि अन्य आतंकवादी कसाब को मुजाहिद के नाम से जानते थे।

 

अभियोजन पक्ष ने कहा कि बुधवार पार्क पहुंच कर कसाब और लश्कर-ए-तोएबा के दूसरे आतंकवादी अबू इस्माइल ने एक टैक्सी ली और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन पहुंचे। सुब्रमण्यम ने कहा कि टैक्सी से सीएसटी जाते समय कसाब ने चालक की सीट के नीचे बम रख दिया। जब आतंकवादी टैक्सी से उतर गए उसके बाद यह बम फट गया था। उन्होंने कहा कि सीएसटी पर कसाब और उसके साथी ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 52 लोगों को मार डाला। कसाब ने उच्चतम न्यायालय से, खुद को सुनाई गई फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का आग्रह किया है।

 

न्यायालय ने पिछले साल दस अक्तूबर को दिए गए फैसले में, कसाब की मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। कसाब ने एक विशेष अनुमति याचिका (एसपीएल) दाखिल कर बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसे आतंकवाद निरोधक एक विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा के फैसले की पुष्टि की गई थी।
विशेष अनुमति याचिका में कसाब ने कहा है कि ‘रोबोट’ की तरह उसके दिमाग में भरा गया था कि ‘अल्लाह’ के नाम पर उसे जघन्य अपराध को अंजाम देना है। उसने यह भी कहा है कि उसकी कम उम्र को देखते हुए उसे मौत की सजा न दी जाए।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, February 23, 2012, 00:24

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