Last Updated: Tuesday, February 28, 2012, 14:25
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को बताया गया कि मोहम्मद आमिर अजमल कसाब मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए जिस आतंकवादी हमले में शामिल था उसे काफी सोच-समझकर अंजाम दिया गया था और इसका मकसद यह दिखाकर देश में सांप्रदायिक तनाव कायम करना था कि यह भारतीय मुसलमानों की करतूत है।
पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने न्यायालय में न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सी के प्रसाद की पीठ से कहा कि आतंकवादी हमला यह सोच-समझकर किया गया था जिससे यह दिखाया जा सके कि यह भारतीय मुसलमानों की करतूत है। देश में सांप्रदायिक तनाव कायम करने के लिए यह उनकी सोची समझी रणनीति थी।
उन्होंने कहा कि मामले की जांच के दौरान इकट्ठा किए गए सबूत और सामग्री इसकी पुष्टि करते हैं कि दस आतंकवादियों के पाकिस्तानी आकाओं ने हमले की योजना इस तरह से बनायी थी ताकि इससे बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक समुदायों के बीच तनाव कायम हो जाए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 28, 2012, 19:55