Last Updated: Sunday, March 25, 2012, 15:27
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जहां देश में गरीबों की संख्या में कमी का दावा किया है, वहीं एक वरिष्ठ सलाहकार का कहना है कि देश की 1.2 अरब आबादी में से 70 फीसदी गरीब है। उन्होंने देश में गरीबी के बहुमुखी मूल्यांकन की जरूरत बताई।
राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य एनसी सक्सेना ने कहा, सरकार का यह कहना कि गरीबी घटी है सही नहीं है। गरीबी के बहुमुखी मूल्यांकन की जरूरत है क्योंकि 70 फीसदी आबादी गरीब है।
पूर्व नौकरशाह सक्सेना के मुताबिक गरीबी से सम्बंधित सरकार के कई अनुमानों में खामियां हैं, उनमें पोषक आहार, स्वच्छता, पेयजल, स्वास्थ्य सेवा और शैक्षणिक सुविधाओं की उपलब्धता जैसे कारकों का ध्यान नहीं रखा गया है।
उन्होंने कहा कि कहा कि न सिर्फ राष्ट्रीय सैम्पल सर्वे संगठन के आंकड़े त्रुटिपूर्ण हैं, बल्कि गरीबी के नए अनुमान पर रोशनल डालने वाले सामाजार्थिक और जाति आधारित जनगणना में भी कई खामियां हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सलाहकार समिति सरकार को नीतिगत और कानून निर्माण सम्बंधी सलाह देती है और इसमें सामाजिक नीतियों और वंचितों के अधिकारों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
सरकार को गरीबी से सम्बंधित हाल के अनुमानों पर आलोचना का शिकार होना पड़ा है। इस अनुमान के तहत शहरों में 28 रुपये रोजाना और गांवों में 26 रुपये रोजाना कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। आलोचना के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि व्यापक तौर पर स्वीकृत तेंदुलकर समिति में सभी पक्षों का ध्यान नहीं रखा गया है, इसलिए गरीबी के मूल्यांकन के लिए एक बहुस्तरीय नजरिए की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में गरीबी के स्तर के नए मानक का विकास करने के लिए सरकार एक अन्य विशेषज्ञ समिति का गठन करना चाहती है। तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट के आधार पर योगजना आयोग ने 37.5 फीसदी आबादी के गरीब होने का अनुमान जताया था। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 26, 2012, 08:51