Last Updated: Tuesday, March 5, 2013, 16:41
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) हटाने की अपनी मांग पर केंद्र सरकार की धीमी प्रतिक्रिया से बेपरवाह समाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा है कि वह इस विशेष कानून के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगी।
‘ज़ी न्यूज’ से खास बातचीत में शर्मिला ने कहा, ‘मैं यह सब सभी लोगों, खासकर एएफएसपीए प्रभावित राज्यों के लोगों के लिए कर रही हूं। हम एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं, इसलिए मेरी मांग लोकतांत्रिक नागरिकों के अधिकारों के लिए है। हमें न्याय की जरूरत है। हम शांति चाहते हैं, हिंसा नहीं। मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगी।’
सामाजिक कार्यकर्ता ने राजनीतिक नेताओं से उनकी बात सुनने के लिए भी अपील की। इरोम ने कहा, ‘हमारे लोकतांत्रिक नेताओं को मेरे अहिंसक प्रदर्शन को ध्यान में रखना चाहिए।’
विशेष कानून हटाने की उनकी दशक पुरानी मांग पर सरकार की धीमी प्रतिक्रिया के बारे में इरोम ने कहा, ‘क्रांति होने में समय लगता है। मैं भी एक इंसान हूं जो शांति एवं न्याय चाहता है।’
उन्होंने कहा, ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सभी कुछ लोगों के रवैये पर निर्भर करता है। एक-दूसरे से कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है।’
यह पूछे जाने पर कि अपने गिरते स्वास्थ्य के बावजूद क्या वह अपनी मांग जारी रखेंगी। इस पर इरोम ने कहा, ‘मैं जानती हूं कि मैं क्या कर रही हूं। मैं यह भी जानती हूं कि क्या गलत है और क्या सही।’
इरोम जो इस समय दिल्ली में हैं, उन्होंने 2006 में जंतर-मंतर पर आत्महत्या की कोशिश करने का दोषी करार देने इंकार किया है।
गौरतलब है कि मणिपुर की इरोम शर्मिला अपने राज्य से एएफएसपीए कानून हटाए जाने की मांग को लेकर दो नवंबर 2000 से ही अनशन पर हैं। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें नाक के जरिए तरल भोजन दिया जाता रहा है।
First Published: Tuesday, March 5, 2013, 16:41